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वाणी की मधुरता से दुश्मन दोस्त बन सकता है

वाणी पर संयम यानी हर व्यक्ति को अपना बनाने का पुरुषार्थ। कड़वी जुबान के सौ नुकसान व मीठी जुबान के हजार फायदे। रावण ने कड़वा बोलकर अपने भाई को खो दिया था। वहीं राम ने मीठे वचन बोल दुश्मन के भाई को भी अपना बना लिया।

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वाणी की मधुरता से दुश्मन दोस्त बन सकता है,वाणी की मधुरता से दुश्मन दोस्त बन सकता है

कोयम्बत्तूर. वाणी पर संयम यानी हर व्यक्ति को अपना बनाने का पुरुषार्थ। कड़वी जुबान के सौ नुकसान व मीठी जुबान के हजार फायदे। रावण ने कड़वा बोलकर अपने भाई को खो दिया था। वहीं राम ने मीठे वचन बोल दुश्मन के भाई को भी अपना बना लिया। यह विचार राजगुरू अपार्टमेंंट में आयोजित धर्मसभा में जैन मुनि हितेशचंद्र विजय ने कही, जब हम बोलते हैं तो दो में से एक कार्य जरूर करते हैं। या तो मधुर बोल कर किसी को दिल में बसा लेते हैं या कटु बोलकर किसी के दिल से उतर जाते हैं, कटु बोलने वाले अपने घर वालों की नजर से भी उतर जाते हैं। शरीर पर लगा घाव ठीक हो सकता है, लेकिन जुबान से लगे घाव को हकीम या डॉक्टर ठीक नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि दुनिया में जुबान ही ऐसी चीज हैं जहां अमत व जहर एक साथ रहते हैं। अच्छे ढंग से बोलोगे तो अमृत बरसाएगी वहीं गलत तरीके से बोलोगे तो जहर उगलेगी। जुबान को सुंदर बनाने की पहल करें, आंखों का काजल, होठों की लाली, सुबह शाम तक फीकी पड़ जाएगी लेकिन जुबान की मधुरिमा जीवन भर सुंदर बनाए रखेगी। वाणी की शालीनता ही आपके व्यक्तित्व की पहचान कराती है। यदि जुबान के पक्के नहीं हो तो हर जगह असफलता मिलेगी। अच्छा व्यवहार ही हमारा व्यापार है। अच्छा बोलना उन्नति की निशानी है। बुरा बोलोगे तो पतन निश्चित है। अच्छा बोलने पर दुनिया को अच्छा लगोगे। सच्ची बात को मीठी जुबान से बोलने पर हर व्यक्ति आपकी बात को मानेगा और समझेगा।