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दमोह

पथरिया में आवास योजना के तहत बीएलसी आवासों में हुए फर्जीवाड़ा की जांच पूरी

पथरिया नगर परिषद का मामला

दमोहFeb 10, 2020 / 08:56 pm

pushpendra tiwari

पथरिया में आवास योजना के तहत बीएलसी आवासों में हुए फर्जीवाड़ा की जांच पूरी

प्रधानमंत्री आवास

दमोह. जिले के पथरिया नगरपरिषद अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बीएलसी श्रेणी के सैकड़ों आवासों में हुए फर्जीवाड़ा की जांच अब अपने अंतिम चरण में है। आयुक्त नगरीय प्रशासन द्वारा मामले की जांच करने के लिए गठित की गई चार सदस्यीय टीम द्वारा जांच रिपोर्ट आगामी पंद्रह दिनों के भीतर प्रस्तुत कर दी जाएगी। बताया जाता है कि जांच रिपोर्ट में कई तरह गड़बडिय़ां सामने आई है। इससे उन कर्मचारियों के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई तय है जिन्होंने अपात्रों को पात्रता की सूची में शामिल कर योजना का लाभ दिलाया है। वहीं मामले का तथ्य भी उजागर हुआ है कि नगरपरिषद के कर्मचारियों व पदाधिकारियों द्वारा गड़बड़ी को छुपाने का भरसक प्रयास किया था और जांच शुरू होने पर कई दिनों तक जांच में चाहे गए दस्तावेज जांच कमेटी को उपलब्ध नहीं कराए गए थे।
शिकायत के बाद हरकत में आया प्रशासन
आवास योजना के प्रावधानों को ताक पर रखकर बीएलसी आवासों की पात्रता सूची तैयार की गई है, इसकी भनक लगने के बाद पथरिया विधायक द्वारा मामले की शिकायत नगरीय प्रशासन आयुक्त से की थी। इस शिकायत के बाद नगरीय प्रशासन के उच्चाधिकारी हरकत में आए और जांच कमेटी गठित की गई व परिषद का रिकार्ड खंगाला गया। शिकायत में कई ऐसे नामों का भी जिक्र किया गया जिन्हें अपात्र होने के बाद भी पात्रता में शामिल कर उनके नाम से खातों में ढाई लाख की राशि की किस्तें जारी कीं गईं।
मनमानी का लगा आरोप
आयुक्त के निर्देश के बाद गठित कमेटी को जब परिषद द्वारा सभी उपयोगी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए तो कुछ लोगों ने इसकी शिकायत कर कहा कि परिषद अध्यक्ष के पति लक्ष्मण सिंह द्वारा मनमानी की जा रही है और कार्रवाई में हस्ताक्षेप कर रिकार्ड उपलब्ध नहीं होने दिया जा रहा है। हालांकि इस बात की पुष्टि जांच कमेटी के अधिकारियों द्वारा भी की गई है और बताया गया है कि जांच शुरू होने के बाद कुछ पत्र रिकार्ड उपलब्ध कराए जाने के लिए जारी किए गए थे। जिसमें कभी योजना का क्रियांवयन करने वाले कर्मचारी का अनुपस्थित होना बताया गया तो कभी अन्य कोई कारण बताया गया। हालांकि बाद में रिकार्ड जांच कमेटी द्वारा प्राप्त कर लिया गया था।
यह तथ्य हुए उजागर
आवास योजना के तहत हितग्राही का कच्चा मकान होना आवश्यक है। लेकिन उन हितग्राहियों को भी शामिल किया गया जिनके खुद के कच्चे मकान नहीं थे। वहीं कुछ ऐसे कर्मचारी भी थे, जो परिषद में दैवेभो के रूप में कार्यरत हैं और इन्हें लाभ दिलाने के लिए सूची में शामिल किया गया। जांच कमेटी द्वारा ४२४ आवासों के हितग्राहियों की पात्रता जांच की जाना बताई गई है। वहीं यह बात भी सामने आई कि कलेक्टर द्वारा अनुमोदित सूची में शामिल नहीं होने वाले हितग्राही के खातों में भी राशि भेजी गई।
योजना के यह हैं प्रावधान
योजना के तहत बीएलसी घटक में अनुदान प्राप्त करने के लिए प्रमुख नियम यह हैं कि आवेदक की सालाना आय तीन लाख रुपए तक होना चाहिए। संपूर्ण भारत में कहीं पर भी पक्का मकान न हो। सरकार की किसी भी आवास योजना का पूर्व में लाभ न लिया गया हो। आवेदक के स्वयं के नाम से भूखंड के दस्तावेज होना चाहिए। स्वयं के नाम पर नहीं होने की स्थिति में माता पिता, सास ससुर के नाम से आवेदन किया जा सकता है। आवास निर्माण के लिए ३० वर्ग मीटर कारपेट एरिया होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर दो मंजिला मकान के लिए आवेदन दिया जाना चाहिए। इसके अलावा बीएलसी घटक के अनुदान प्राप्त करने के लिए आर्थिक दृष्टि से कमजोर आय वर्ग के व्यक्ति ही आवेदन कर सकते हैं।
वर्जन
जांच को लगभग पूरा कर लिया गया है, रिपोर्ट मुख्य कार्यपालन यंत्री के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। अधिकतम पंद्रह दिन के भीतर प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।
एनएस चौहान, जांच अधिकारी सागर

शिकायतों में मुझे लेकर जो आरोप लगाए गए वह गलत हैं। जिन लोगों ने यह आरोप लगाए वह लाभ चाह रहे थे, जो उन्हें नहीं दिया गया।
लक्ष्मण सिंह, परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि

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