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दौसा

कलाकारों के दम पर जिंदा है हेेला ख्याल गायकी व संगीत दंगल

वर्षों पुरानी परंपरा को नही मिल रहा है सरकारी संरक्षण

दौसाApr 06, 2019 / 07:30 am

gaurav khandelwal

hela khyal dangal lalsot

कलाकारों के दम पर जिंदा है हेेला ख्याल गायकी व संगीत दंगल

लालसोट. गणगौर के मौके पर पिछले करीब पौने तीन सौ सालों से लालसोट शहर में आयोजित होने वाला हेला ख्याल संंगीत के आयोजनको पूरे क्षेत्र में एक गौरवशाली परपंरा केे रुप में देखा जाता है, लेकिन अब इस पर अस्तिव का संकट मंडराने लगा है। अपने आप में अनूठी ख्याल गायकी के इस विशाल आयोजन ने जहां कई सालों पूर्व तक अपनी लोकप्रियता से पूरे देश में एक खास पहचान कायम कर लालसोट की पहचान के रूप में स्थापित कर लिया था। अब संचार क्रांति के बढ़ते दबदबे के कारण पहले टीवी और अब मोबाइल के बढ़ते उपयोग ने सभी मनोरंजन के साधनों व ग्रामीण लोकानुरंजन के साधनों को समाप्त कर दिया है।
इसी संचार क्रांति का दुष्प्रभाव भी हेला ख्याल गायकी पर पडऩे लगा है । ऐसे हालात में सरकारी संरक्षण व हेला ख्याल संगीत दंगल के आयोजन में समय के साथ होने वाले बदलाव के अभाव में यह आयोजन सिमटता जा रहा है। सरकारी संरक्षण के अभाव में इस पूरे आयोजन को अब चलाने रखने का पहला श्रेय उन गायक कलाकारों को जाता है जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई के दम पर इस अनूठी ख्याल गायकी को जिंदा बनाए रखा है और दूसरा श्रेय जाता है लालसोट की जनता को, जिसके आर्थिक सहयोग से यह पूरा आयोजन हर साल संपन्न होता आ रहा है।
इस पूरे आयोजन में शासन व प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। जहां एक ओर सरकार द्वारा समय समय पर राजस्थान की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए बड़ी बड़ी घोषणाएं की जाती है, लेकिन आज तक सरकार की ओर से भी इस कला को आगे बढ़ाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। उसके बाद भी कलाकारों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है और अभी भी उसी लय ताल के साथ अपनी कला का शानदार प्रदर्शन करते आ रहे हैं।
गौरतलब है कि लालसोट शहर में प्रति वर्ष गणगौर के मौके पर लगातार 48 घंटे तक हेला ख्याल संगीत दंगल का आयोजन होता आ रहा है। यह आयोजन पिछले 270 सालों से अनवरत जारी है। दौसा, सवाई माधोपुर, करौली व सवाई माधोपुर जिलों की करीब एक दर्जन से अधिक गायक मंडलिया यहां अपनी रचनाओं की प्र्रस्तुती देने आती है।वर्ष 1980 से पूर्व हेला ख्याल की लोकप्रियता स्थानीय स्तर पर ही थी, लेकिन उसकेे बाद जैसे ही हेला ख्याल गायक कलाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से गांव से लेकर देश व विदेश के राजनीतिक घटनाक्रम का तड़का लगाया तो इसकी लोकप्रियता को भी चार चांद लगना शुरू हो गया। धीरे धीरे पूरे देश में यह लालसोट की पहचान के रूप में कायम में हो गया था, लेकिन पिछले कई सालों से इसकी लोकप्रियता में काफी गिरावट देखी जा रही है। (नि.प्र.)

कई गायन मंडलिया हुई बंद


सरकारी संरक्षण व युवा पीढी की अरुचि से कई गायक मंडलियां समाप्त हो चुकी है। करीब 10 साल पूर्व तक हेला ख्याल दंगल मेें अपनी गायकी से सबको प्रभावित करने वाली राधारमण मंडल गंडाल व शहर गायक मंडल बिखर चुके हैं। अब शेष गायन मंडलियों में भी युवा कलाकारों का रुझान काफी कम देखा जा रहा है। पहले हेला ख्याल के आयोजन से महिनों पूर्व ही सैकड़ों गायक कलाकार हर रात्रि को अपने नियत स्थान पर जमा हो कर रियाज करते थे, लेकिन यह सब गायब हो गया है और चंद जने ही इन गायन मंडलियों में नियमित रियाज के लिए पहुंच रहे है।
कभी हेला ख्याल दंगल में अपनी गायकी से सबको मंत्र मुग्ध करने वाले स्व. हजारीलाल ग्रामीण, रोशन तेली, पं. कालीचरण, मुथरेश जोशी, रामप्रताप गौड़, हुकमचंद जैसे महान गायक एवं खेमराज पथिक जैसे बेहतरीन रचनाकार के चले जाने के बाद पैदा हुआ खालीपन आज तक नहीं भरा जा सका है।

जवाहर कला केंद्र ने भी खीचें हाथ


सन 1993 से हेला ख्याल संंगीत के आयोजन में जयपुर के जवाहर कला केंद्र की ओर से पांच हजार रुपए की आर्थिक मदद देने की शुरुआत की थी।कुछ सालों तक यह आर्थिक मदद मिली लेकिन उसके बाद भी जवाहर कला केंद्र ने भी हेला ख्याल गायकी के इस अनूठे संगीत दंगल की मदद से अपने हाथ खींच लिए ।

पर्यटकों के लिए बन सकता है आकर्षण का केंद्र


हेला ख्याल संगीत दंगल केवल लालसोट या दौसा जिले की शान नही अपितु यह पूरे राजस्थान का सबसे पुराना लोक गायकी का अनूठा आयोजन है।यदि सरकार, पर्यटन विभाग व क्षेत्र के जनप्रतिनिधी प्रयास करें तो यह विदेशी सैलानियों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन सकता है।

आयोजन स्थल है बदहाल


करीब पचास साल पूर्व तक यह आयोजन शहर के झंरडा चौक पर आयोजित होता था, उसके बाद इस आयोजन निर्बाध रूप से जवाहर गंज सर्किल पर आयोजित होता आ रहा है।इस आयोजन से देश विदेश में लालसोट की पहचान बनी है और जिसे लालसोट की शान माना जाता है, उस आयोजन का स्थल सरकारी अनदेखी से पूरी तरह बदहाल है। आयोजन के तहत हजारों श्रौता जमीन पर बैठ कर हेला ख्याल संगीत दंगल का रसास्वादन करते है, लेकिन अब यहां अतिक्रमण की भरमार है। ऐसे में दूर दराज से यहां आने वाले श्रोताओं को परेशानी होती है।

8 अप्रेल की रात्रि से शुरू होगा आयोजन


271 वें हेला ख्याल संगीत दंगल का आयोजन शहर के जवाहर गंज सर्किल पर 8 अप्रेल की रात्रि को भवानी पूजन के साथ शुरू होगा, इसके बाद 9 अपे्रेल की रात्रि से शुरू हो कर 11 अप्रेल सुबह तक अनवरत जारी रहेगा। लालसोट समेत आस पास के कई जिलों की एक दर्जन गायक मंडलियां शिरकत करेंंगी। आयोजन को लेकर दंगल समिति के पदाधिकारी सभी व्यवस्थाओं को अंजाम देने में जुटे हंै।(नि.प्र.)

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