
गोवा के नाइट क्लब में भीषण अग्निकांड के दौरान भावना के सामने उनके पति और तीन सगी बहनों की मौत हो गई
Goa Fire:गोवा के नाइट क्लब में शनिवार रात हुए भीषण अग्निकांड में 25 लोगों की मौत हो गई थी। उनमें नौ लोग उत्तराखंड के निवासी थे। मरने वालों में अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट निवासी विनोद कबड़वाल, उनकी दो सालियां और भाभी भी शामिल थी। ये चारों लोग दिल्ली में रहते थे। शनिवार को विनोद, उनकी पत्नी भावना, भाभी कमला, अनीता और सरोज के साथ गोवा घूमने गए हुए थे। देर रात बर्च बाई रोमियो लेन’ नाइट क्लब में अचानक आग की लपटें उठने लगी थी। लोग जान बचाने के लिए भूतल की ओर भागने लगे थे। उस वक्त डांस फ्लोर में भी काफी भीड़ थी। पत्नी भावना को आग की लपटों में घिरता देख विनोद ने धैर्य और साहस से काम लेते हुए उन्हें बचा लिया। उस वक्त उनकी भाभी और सालियां आग की लपटों में घिर रही थी। भावना को बचाने के बाद विनोद उन्हें बचाने के लिए आग की लपटों के बीच पहुंच गए थे। देखते ही देखते विनोद, उनकी भाभी और दोनों सालियां आग की लपटों में बुरी तरह फंस गए थे। सामने से भावना पति सहित तीनों बहनों को बचाने की गुहार लगा रही थी। भावना ने अपनी आंखों के सामने पति और तीन बहनों को मरते देखा। इस हादसे के बाद से भावना बेसुध है। उनके परिवार में कोहराम मचा हुआ है।
गोवा अग्निकांड में द्वाराहाट मूल निवासी विनोद और उनकी भाभी कमला की भी मौत हो गई। बग्वालीपोखर धारकोट बाड़ी निवासी विनोद कबड़वाल दिल्ली के करावल नगर में रहते थे और एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे। वह अपनी पत्नी भावना और पत्नी की तीन बहनें कमला, अनीता और सरोज के साथ गोवा घूमने गए थे। विनोद के बड़े भाई नवीन कबड़वाल भी दिल्ली में रहते हैं और कारोबारी हैं। नवीन की शादी कमला से हुई थी। बाद में कमला की बहन भावना से विनोद की शादी हुई। कमला विनोद की भाभी भी थीं। गोवा के क्लब में उस वक्त पांचों मौजूद थे। उनमें से केवल भावना ही बच पाई।
गोवा अग्निकांड में जान गंवाने वाले चम्पावत के नेत्र सलान निवासी मनीष पलायन और बेरोजगारी से त्रस्त था। वह नौकरी के लिए गोवा पहुंचा हुआ था। परिजन उसकी शादी के सपने बुन रहे थे। मनीष के पिता कृष्ण सिंह महर खेती कर परिवार चलाते हैं। इससे घर की गुजर-बसर भी बहुत मुश्किल से हो पाती थी। साल 2019 में 12वीं पास करने के बाद मनीष को पढ़ाई छोड़नी पड़ी और पहाड़ के अन्य बेरोजगार युवाओं की तरह रोजगार की तलाश में गांव छोड़ना पड़ा। सबसे पहले बेंगलुरु पहुंचा और होटल लाइन में काम किया। मनीष के ताऊ देव सिंह ने बताया कि कुछ समय बेंगलुरु में रहने के बाद मनीष अच्छे विकल्प की तलाश में हैदराबाद पहुंच गया। उसके बाद वह गोवा पहुंचकर नाइट क्लब में नौकरी करने लगा था। मनीष विदेश जाना चाहता था। अग्निकांड ने उसके परिवार के सपनों को चकनाचूर कर दिया।
गोवा के नाइट क्लब में जान गंवाने वाले पिथौरागढ़ के सुरेंद्र सिंह जर्मनी जाना चाहते थे। सुरेंद्र हादसे से ठीक एक हफ्ता पहले ही बेंगलुरु से नौकरी करने गोवा पहुंचे थे। जर्मनी में काम कर चुके सुरेंद्र दोबारा विदेश जाने के प्रयास में लगे थे। खटीमा में नया घर भी बना रहे थे, लेकिन आग की अग्निकांड ने उनकी जिंदगी और परिवार के सपनों को राख कर दिया।सुरेंद्र ने अपनी होटल में नौकरी की शुरुआत बेंगलुरु से की थी। चार साल तक विदेश में काम करने के बाद वह घर लौटे। करीब पांच माह घर पर रुके और फिर जर्मनी जाने के प्रयास में लग गए। इसके लिए उन्होंने वीजा के लिए आवेदन भी किया, लेकिन दस्तावेजों में समस्या के कारण उनका आवेदन रिजेक्ट हो गया। उन्होंने दस्तावेज दुरुस्त कर फिर वीजा के लिए आवेदन किया, जिसमें समय लग रहा था।
Updated on:
09 Dec 2025 08:55 am
Published on:
09 Dec 2025 08:52 am
बड़ी खबरें
View Allदेहरादून
उत्तराखंड
ट्रेंडिंग
