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बड़ा फैसला : अशासकीय स्कूलों में भर्तियों पर रोक, घपलों की आशंका पर हरकत में सरकार

Government Order: सरकार ने अशासकीय स्कूलों में भर्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। जांच में सामने आया है कि स्वीकृत पदों को पुनर्जीवित कराए बगैर ही भर्तियां हो रही हैं। भर्तियों में तमाम धांधलियां की जा रही हैं। व्यापक पैमाने पर सेटिंग-गेटिंग का खेल भी चल रहा है। इसी को देखते हुए सरकार ने ये आदेश जारी किया है।

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The government has imposed a ban on recruitments in non-government schools in Uttarakhand

एआई से बनाई गई प्रतीकात्मक फोटो

Government Order: अशाकीय स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्तियों पर सरकार ने रोक लगा दी है। उत्तराखंड के शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। शिक्षा सचिव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ.मुकुल कुमार सती से 15 दिन के भीतर राज्य के सभी अशासकीय स्कूलों में पदों का ब्योरा भी मांगा है। बताया जा रहा है कि सरकार की जानकारी में आया है कि अशासकीय स्कूलों में शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भर्तियों में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नियमानुसार जो पद मान्य नहीं है, उन पर भी भर्तियां और ट्रांसफर किए जा रहे हैं। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा अधिनियम, 2006 में पदों की निरंतरता और भर्तियों को लेकर प्रावधान तय किए गए हैं। नियमों के अनुसार यदि स्कूल प्रबंधन समिति रिक्त पद पर तीन महीने के भीतर भर्ती नहीं करती तो उसे अस्थायी रूप से खत्म मान लिया जाता है। ऐसे हालात में इन पदों को तब तक नहीं भरा जा सकता, जब तक निदेशक के स्तर से इन्हें दोबारा सृजित न कर दिया जाए। इधर, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती के मुताबिक, शासन की ओर से आदेश प्राप्त हो गया है। अधिकारियों से स्कूल में पद सृजन, स्कूल के अनुदान सूची में शामिल होने की तारीख, पदों के रिक्त होने की तारीख का ब्योरा मांग लिया गया है।

लाखों रुपये लेकर हो रहीं भर्तियां!

राज्य के तमाम अशासकीय स्कूलों में भर्ती घोटाले लंबे समय से चल रहे हैं। बताया जाता है कि शिक्षक भर्ती में करीब 25 लाख रुपये का खेल खेला जाता है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती में भी 15 लाख रुपये लिए जाते हैं। इसी को देखते हुए सरकार लंबे समय से अशासकीय स्कूलों को सरकारी बनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन इनसे जुड़े लोग निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए स्कूलों को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं। भर्तियों से होने वाली कमाई से उनका मोह नहीं भर रहा है। बीते कुछ वर्षों में भर्तियों पर कई बार रोक लग चुकी है। यदि सरकार अशासकीय स्कूलों को पूर्ण रूप से अपने अधीन कर ले गया फिर भर्तियां आयोग से कराएं तो इन स्कूलों की हालत सुधर सकती है।

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वेतन भत्तों  में खर्च हो रहा 600 करोड़

उत्तराखंड के अशासकीय स्कूलों में नियुक्ति प्रक्रिया में मुख्य शिक्षा अधिकारी की भूमिका ही अहम होती है। स्कूल प्रबंधन कमेटी के आवेदन पर सीईओ कार्यालय नए पदों का सृजन, लंबे समय से रिक्त पदों को दोबारा सृजित करने की अनुमति देता है। इधर, शिक्षा सचिव ने साफ किया कि अमान्य पदों पर नियुक्त शिक्षक-कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के लिए सरकार अनुदान नहीं देगी। सहायता प्राप्त अशासकीय स्कूलों में नियमानुसार तैनात शिक्षक-कर्मचारियों के समस्त वेतन-भत्ते आदि में सरकार सालाना 600 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।