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सूत्रों के मुताबिक ब्लैक लिस्टेड खाताधारकों की पहचान का काम भी जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। ऐसे खाताधारक जो मोटी रकम बतौर कर्ज सहकारी बैंकों से ले चुके हैं। लेकिन एक या दो किश्त बैंक में जमा करने के बाद न ही मूलधन और न ही ब्याज सहकारी बैंकों में जमा कर रहे हैं। उनकी सूची तैयार की जाएगी। या फिर ऐसा भूखंड जिसे दोबारा बैंकों को दिखाकर कर्ज लिए गए हैं। ऐसे ग्राहकों की भी पहचान की जाएगी।
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भरोसेमंद सूत्रों ने स्पष्ट किया कि अब पहले की तरह मूलधन या फिर ब्याज माफी को लेकर सहकारी बैंक निकट भविष्य में कोई स्कीम भी चलाने के पक्ष में नहीं हैं। समय पर किश्त नहीं जमा करने वाले खाताधारकों को राहत देने के क्रम में पिछले माह अक्टूबर में सहकारी बैंकों ने स्कीम भी चलाया है। लेकिन बैंकों को उतना लाभ नहीं मिल पाया है। साथ ही इस तरह की स्कीम को लेकर भी आरबीआई काफी सख्त है। आरबीआई ने स्पष्ट कहा है कि ऐसा कोई कदम बैंकों द्वारा नहीं उठाया जाए जिससे घाटे का अंदेशा हो। सख्ती के साथ कर्ज की वसूली की जाए। इसमें कहीं से भी कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।
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‘ सहकारी बैंक आरबीआई के मानकों को ध्यान में रखकर ही लेन देन कर रहे हैं। इन बैंकों को स्पष्ट निर्देश है कि आरबीआई के मानकों का हर हाल में पालन करें। घाटे में चल रहे बैंकों को उबारने के लिए प्लानिंग बनाई जा रही है। आने वाले दिनों में कोई भी बैंक घाटे में नहीं रहेगा।
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डॉ.धन सिंह रावत ,सहकारिता मंत्री ,उत्तराखंड सरकार