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पत्नी ने ही दर्ज कराई थी पति की गुमशुदगी की शिकायत
मामले में सूचनाकर्ता व आरोपी छायाबाई पति भगवान सिंह ने अपने पिता के साथ थाना औद्योगिक क्षेत्र में उपस्थित होकर बताया था कि उसकी शादी भगवान सिंह पिता उमरावसिंह निवासी सीलाखेड़ी थाना कायथा जिला उज्जैन से पांच वर्ष पूर्व हुई थी। पति के साथ करीब तीन माह वो पूर्व आड़ी पट्टी, मल्हार कॉलोनी देवास रहने आ गई थी। उसके दो बच्चे हैं। उसके पति भगवान सिंह करीब एक वर्ष से प्रेस्टिज कंपनी देवास में काम कर रहे थे। जून 2020 में उसका व उसके पति के मध्य काम की बात को लेकर विवाद हो गया था, फिर दोनों सो गये थे। दूसरे दिन सुबह 7 बजे उठकर देखा तो उसके पति भगवान सिंह कमरे में नहीं थे। छाया ने अपने पति भगवान सिंह की तलाश, आसपास व रिश्तेदारी में भी पता किया लेकिन कहीं कोई पता नहीं चला। मामले में पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू की थी।
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ऐसे हुआ था जुर्म का पर्दाफाश
पूछताछ में पुलिस को छाया पर शंका हो गई थी क्योंकि वो गोलमोल जवाब दे रही थी। जांच के दौरान शंका पुख्ता हुई और पता चला कि छाया के प्रेमी लाखन के घर पर आने एवं उसके साथ प्रेम संबंध की बात का पता भगवान को चल गया था। इसके बाद वो पत्नी से मारपीट करने लगा था। परेशान होकर छाया ने अपने प्रेमी लाखन व उसके साथी अकील उर्फ अक्कू के साथ मिलकर 11 जून की रात में इन लोगों को घर बुलाकर अपने पति भगवान सिंह की सभी ने मिलकर मारपीट कर ब्लेड, लोहे का फरशा से हत्या कर दी एवं उसी रात में लाश को टाट के बोरे में भरकर अपने प्रेमी लाखन व अकील की मदद से लोडिंग वाहन से बायपास हनुमान मंदिर की तरफ ठिकाने लगाने हेतु भेज दिया। वहां पर लाश को छिपाने के लिये लाश को पेट्रोल डालकर जला दिया गया था। काफी दिनों के बाद मौके से टाट का अधजला बोरा, हड्डी आदि मिले थे। इसके बाद मोबाइल लोकेशन, डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट से जांच में सहायता मिली। मामले में अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था।
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7 महीने में आया फैसला
न्यायालय द्वारा वैज्ञानिक साक्ष्य, सायबर साक्ष्य एवं परिस्थितिजन साक्ष्य के आधार पर मात्र 7 माह में प्रकरण का निराकारण किया। द्वितीय सत्र न्यायाधीश ने शनिवार को निर्णय पारित कर आरोपी छायाबाई पति भगवान सिंह, लाखन पिता बहादुर, अकील उर्फ अक्कू को धारा 302,149,120-बी में आजीवन कारावास और 35-25 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया।
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मां के साथ जेल में रहेगा मासूम
आरोपी छाया के दो बच्चे हैं। छोटा बेटा करीब तीन साल का है। नियमानुसार 7 साल तक के बच्चों को जेल में मां के साथ रखा जा सकता है। ऐसे में मासूम भी अपनी मां के साथ जेल गया, जहां उसका पालन-पोषण होगा।
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