रामकुंवर ध्रुव (डोंगरडुला) ने बताया कि पिछले दिनों एक गंभीर मरीज को संजीवनी 108 के माध्यम से इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, लेकिन आक्सीजन नहीं मिलने से वह तड़पता रहा। किसी तरह अस्पताल पहुंचने के बाद तत्काल उसे ऑक्सीजन का सिलेंडर चढ़ाया गया।
सूत्रों की मानें तो 2 सौ बिस्तर वाले जिला अस्पताल में प्रतिदिन 8 छोटे-बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर लगाता है। इस प्रकार एक माह में यहां औसत 250 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत होती है। बताया गया है कि सिलेंडर की आपूर्ति सप्लाई एजेंसी रसमड़ा (दुर्ग) से होती है। जबकि अस्पताल में प्रतिदिन 20 की संख्या में गंभीर मरीज पहुंचते हैं। इस हिसाब से सिलेंडर की मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं हो रही है। ऐसे में कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग उदासीनता बरत रहा है।
बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए जिले में 7 संजीवनी वाहनों का संचालन केवीके कंपनी द्वारा किया जा रहा है। जबकि शहर मेंं 2 संजीवनी वाहन अपनी सेवा दे रहे है। एक जानकारी के अनुसार संजीवनी वाहन में १६ किलो का एक ऑक्सीजन सिलेंडर मुश्किल से 4 दिन चलता है। बताया जाता है कि शहर में चलने वाले संजीवनी वाहन मेंं जैसे-तैसे सिलेंडर की व्यवस्था हो जाती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों मेंं चलने वाले ५ संजीवनी वाहनोंं में सिलेंडर की कमी बनी हुई है।