18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शनि के डर से हाथी बने थे महादेव, शिव के प्रिय सोमवती अमावस्या पर जन्म लेंगे शनिदेव

शनि के डर से हाथी बने थे महादेव, शिव के प्रिय सोमवती अमावस्या पर जन्म लेंगे शनिदेव

2 min read
Google source verification

भोपाल

image

Pawan Tiwari

Jun 01, 2019

shanidev

शनि के डर से हाथी बने थे महादेव, शिव के प्रिय सोमवती अमावस्या पर जन्म लेंगे शनिदेव

शिव के शिष्य सूर्यपुत्र शनिदेव सोमवती अमावस्या के दिन यानि 3 जून 2019 को जन्म लेंगे। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत भी रखेंगी। बताया जा रहा है कि इस बार विशेष संयोग बन रहा है, जिस कारण साढ़ेसाती, ढैय्या से परेशान जातकों को इस बार शनिदेव साधना में सफलता देंगे। अमावस्या दो जून को 4.40 बजे से शुरू होगी, जो 3 जून को 3.31 बजे तक रहेगी।

गौरतलब है कि वर्ष 2019 में पूरे साल तीन सोमवती अमावस्या है। इनमें पहली सोमवती अमावस्या 4 फरवरी, दूसरी 3 जून और तीसरी 28 अक्टूबर को है। बता दें कि हिन्दू ज्योतिष के 9 मुख्य ग्रहों में से एक ग्रह है शनि। कहा जाता है कि अन्य सभी ग्रहों में शनि ग्रह धीमे चलता है यही कारण है कि इसे शनैश्चर कहा जाता है।

शनि के गुरु हैं शिव

पौराणिक कथाओं के अनुसार, शनिदेव दंडाधिकारी है। माना जाता है कि न्याय करते वक्त शनिदेव किसी से न तो प्रभावित होते हैं और न ही किसी से डरते हैं। शनिदेव निष्पक्ष होकर न्याय करते हैं। वो सभी को कर्मों के आधार पर न्याय करते हैं और दंड देते हैं। पौराणिक कथाओं में शिव को ही शनि का गुरु बताया गया है। कहा जाता है कि शिव के कृपा से ही यम के भाई शनि को दंडाधिकरी चुना गया है।

डर से हाथी बने थे महादेव

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब भगवान शिव कैलाश पर विरजमान थे, तब शनिदेव उनका दर्शन करने आ गए। कथा के अनुसार, प्रणाम करने के बाद शनिदेव ने अपने गुरु शिव से क्षमा के साथ कहा कि मैं आपकी राशि में प्रवेश करने वाला हूं। मेरी वक्र दृष्टि से आप नहीं बच पाएंगे। इसके के बाद शिवजी ने पूछा कहा कि कब तक वक्र दृष्टि रहेगा। तो शनिदेव ने कहा कि कल सवा पहर तक। इसके बाद भगवान शिव शनि से बचने के लिए अगले दिन हाथी बन गए और पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने लगे।

शनिदेव का जवाब सुन खुश हुए महादेव

पृथ्वी लोक से लौटने के बाद भगवान शिव ने शनिदेव से कहा कि मैं तो अपके वक्र दृष्टि से बच गया। भगवान शिव की बात सुनकर शनिदेव मुस्कुराये और कहा कि आप मेरी दृष्टि के कारण ही पूरे दिन पृथ्वी लोक पर हाथी बन भ्रमण कर रहे थे। शनिदेव ने कहा कि आपका पशु योनि मेरे ही राशि भ्रमण का ही परिणाम था कि आप पृथ्वी लोक पर हाथी बनकर भ्रमण करने चले गए थे। शनिदेव की बात सुनकर महादेव खुश हुए। कहा जाता है कि उसके बाद से शिव को शनिदेव और प्यारे लगने लगे।