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Varuthini Ekadashi Vrat 2023: वरुथिनी एकादशी व्रत के दिन ये शुभ योग, पूजा से तृप्त हो जाएंगे पितृ और देव, इसके लिए जान लें व्रत का नियम

Varuthini Ekadashi Vrat 2023: वैसाख कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी और कल्याणकारी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति विधि विधान से श्रीहरि विष्णु की पूजा कर व्रत रखता है, उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है, उसे सुख समृद्धि और सिद्धियां प्राप्त होती हैं। वहीं मृत्यु के बाद भक्त को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। हालांकि वरुथिनी एकादशी व्रत रखने के कुछ नियम भी हैं, जिसके पालन से ही पूरा पुण्यफल मिलता है तो आइये जानते हैं वरुथिनी एकादशी व्रत के नियम (Varuthini Ekadashi Fast Rule)।

Apr 15, 2023 / 08:30 pm

Pravin Pandey

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Vrindavan

वरुथिनी एकादशी 2023
पंचांग के अनुसार वैसाख कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 15 अप्रैल रात 8.45 बजे से हो रही है और यह तिथि 16 अप्रैल रविवार को शाम 6.14 बजे संपन्न होगी। उदयातिथि के अनुसार वरुथिनी एकादशी व्रत 16 अप्रैल को रखा जाएगा। इस व्रत का पारण समय 17 अप्रैल सुबह 5.54 बजे से सुबह 8.29 बजे तक है।
वरुथिनी एकादशी पर शुभ योग(दृक पंचांग के अनुसार)


शुक्ल योगः 17 अप्रैल 12.13 एएम तक
अभिजित मुहूर्तः 11.55 एएम से 12.46 पीएम तक
अमृतकालः 9.26 पीएम से 10.55 पीएम तक
विजय मुहूर्तः 2.27 पीएम से 3.18 पीएम तक

वरुथिनी एकादशी महत्व (Varuthini Ekadashi Vrat Puja)
इस दिन भगवान के वाराह रूप (Varah Swaroop Puja) और भगवान श्रीकृष्ण, भगवान के माधव स्वरूप की पूजा की जाती है। वरुथिनी एकादशी व्रत की महिमा कई धार्मिक ग्रंथों में बताई गई है। इस दिन पूजा पाठ सौभाग्य दिलाने वाला, और घर में सुख समृद्धि दिलाने वाला होता है। इस दिन भगवान विष्णु को जल में तुलसी दल डालकर अर्पित करना चाहिए।
मान्यता है कि इससे भक्त को सुख समृद्धि मिलती है। यह भी मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान से मनचाहा फल प्राप्त होता है। वरुथिनी एकादशी के दिन अन्नदान और कन्यादान का श्रेष्ठ फल मिलता है। इससे पितृ, देवता सब तृप्त होते हैं। वरुथिनी एकादशी व्रत से दस हजार वर्ष तपस्या के फल के बराबर पुण्य फल मिलता है। इस दिन जल सेवा करने से दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं। इस पूजा में कथा जरूर पढ़ी जानी चाहिए।
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वरुथिनी एकादशी व्रत के नियम (Varuthini Ekadashi Vrat Niyam)


1. इस व्रत में भक्त को खुद को मन, वचन और कर्म से पवित्र रखना चाहिए। साथ ही तामसिक भोजन और विचार दोनों से खुद को अलग रखना चाहिए।
2. व्रत का संकल्प लेकर पीले वस्त्र धारण करना चाहिए।
3. भगवान विष्णु की पूजा में केसर, पंचामृत, हल्दी, तुलसी का पत्ता, पीले फूल, धूप, गंध, दीपक, चंदन का प्रयोग करना चाहिए।

4. वरुथिनी एकादशी पर व्रत कथा का पाठ या श्रवण जरूर करना चाहिए।
5. वरुथिनी एकादशी पर मंत्रों का जाप तुलसी की माला से करना चाहिए। मान्यता है कि इससे मनोकामना पूरी होती है।
6. व्रत पूजा में पीला भोग और इसमें तुलसी का पत्ता अवश्य शामिल करना चाहिए।
7. पूजा का समापन भगवान विष्णु की आरती ऊँ जय जगदीश हरे से करना चाहिए। इसके अलावा भगवान के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। कपूर से भी आरती करनी चाहिए। इससे नकारात्मकता दूर होती है।

8.व्रती को बाल, नाखून और दाढ़ी नहीं काटना चाहिए। स्नान के समय साबुन का इस्तेमाल न करें, कपड़ों को भी साबुन से न धोएं।
9. इस दिन घर में झाड़ू भी न लगाएं, क्योंकि इससे कीट मर सकते हैं और भगवान हरि सभी जीव जंतुओं और प्राणियों के रक्षक हैं, उन्हें पसंद नहीं कि कोई जीव दूसरे जीव की जान ले।
https://youtu.be/ElwdbksyudQ

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