भावनात्मक सलाह दें –
माहवारी शुरू होने वाली उम्र में बच्ची को महिला की संरचना और उम्र के साथ होने वाले बदलावों की जानकारी देनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि महिला के शरीर में बच्चेदानी, अंडेदानी व दूसरे अंगों की अहम भूमिका है। हर महीने माहवारी आना इन बदलावों का एक हिस्सा है और इसमें किसी तरह की शर्म, झिझक या ग्लानि की कोई जरूरत नहीं। घर के सभी सदस्यों को यह समझना होगा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसमें किसी तरह का परहेज या प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं। बेटी के साथ सामान्य बर्ताव करें व उसे यह अहसास न होने दें कि वह महीने के चंद दिन घरवालों से अलग हो जाती है।
खानपान का ध्यान रखें-
बच्चियों को आयरन और प्रोटीन युक्त खाना जैसे गुड़, हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, सोयाबीन, बींस, पनीर, दूध व दूध से बने पदार्थ आदि भरपूर मात्रा में दें। वसायुक्त, तले-भुने व मसालेदार युक्त भोजन से परहेज कराएं। उन्हें नियमित व्यायाम के लिए प्रेरित करें ताकि शरीर में हार्मोंस का संतुलन बना रहे।