
meningitis
मेनिनजाइटिस एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो मस्तिष्क के अंदर वाले हिस्से मेनिन्जेस में मौजूद फ्लूड सीएसएफ में संक्रमण से होता है। इस बीमारी के कारण हैं। शरीर में कहीं भी मसलन कान, नाक, दांत, फेफड़ों में संक्रमण है तो भी हो सकता है। यह बीमारी संबंधित अंगों से खून के माध्यम से मस्तिष्क में भी चली जाती है। अगर समय पर इलाज न मिले तो मरीज की जान भी जा सकती है। इसलिए संक्रमण का तत्काल इलाज लेना चाहिए।
मेनिनजाइटिस के मुख्य प्रकार
1. कम्युनिटी एक्वायड बैक्टीरियल: यह बैक्टीरिया से होता है। यह संक्रमण जानलेवा हो सकता है। यह भीड़भाड़ वाले जगहों पर जाने से वहां के संक्रमित लोगों को खांसने-छींकने से भी फैल सकता है। भीड़ वाली जगह जाते हैं तो मास्क लगाएं।
2. वायरल मेनिनजाइटिस: यह वायरस से होता है। यह बैक्टीरियल संक्रमण जितना खतरनाक नहीं है। अगर इम्युनिटी अच्छी है तो इससे बचाव होता है।
3. फंगल मेनिनजाइटिस: फंगस हमारे शरीर में ही होते हैं। जब इम्युनिटी कम होती है तो हो जाता है। जैसे मधुमेह, एचआइवी और कैंसर पीडि़तों को भी हो सकता है।
4. पैरासिटिक मेनिनजाइटिस: यह पैरासाइट से होता है, जो दिमाग और तंत्रिकातंत्र पर प्रभाव डालता है। ये बहुत कम होता है। अमेबिक मेनिनजाइटिस होता है जो बहुत दुर्लभ होता है। यह गंदा पानी नाक में जाने से होता है।
5. गैर संक्रामक मेनिनजाइटिस: यह किसी संक्रमण से नहीं बल्कि सिर पर चोट, कैंसर, ब्रेन सर्जरी, कुछ प्रकार की दवाइयां या ड्रग्स आदि से होता है।
तेज सिरदर्द और बेहोशी जैसे लक्षण हैं तो इलाज में न करें देरी मेनिनजाइटिस के लक्षणों में बुखार, तेज सिरदर्द, बेहोशी, उल्टी और मतली, जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द और अकडऩ, हाथों और पैरों का ठंडा पडऩा, कंपकंपी, त्वचा का पीला पडऩा, होंठों का नीला पडऩा आदि। बाद में आलस, भ्रम, दौरे पडऩा, हार्ट बीट बढऩा, तेज रोशनी से परेशानी और गर्दन में दर्द रह सकता है। गर्दन के दर्द की पहचान भी अलग होती है। अगर मरीज अपनी ठोड़ी को गर्दन से चिपकाता है तो गर्दन में तेज दर्द होता है।
केस: कान में पस के बाद फैला संक्रमण
अगर शरीर में कहीं भी संक्रमण हुआ है तो वह खून से दिमाग में पहुंचकर मेनिनजाइटिस कर सकता है। अभी एक ऐसे मरीज का इलाज चल रहा है जिसके कान में घाव और पस बना हुआ था। अचानक से सिर में तेज दर्द और बेहोशी जैसे लक्षण आने पर ईएनटी सर्जन ने रेफर किया। जांच में मरीज को मेनिनजाइटिस की पुष्टि हुई।
टीबी भी कारण
मेनिनजाइटिस का एक कारण टीबी की बीमारी भी है। इसे ट्यूबरकूलस मेनिनजाइटिस कहते हैं। किसी संक्रमित के खांसने से इसके बैक्टीरिया फेफड़ों में चले जाते हैं। सालों तक वहां पड़े रहे हैं। वहां से बैक्टीरिया ब्लड के रास्ते मेनिन्जेस में चले जाते हैं। तब ट्यूबरकूलस मेनिनजाइटिस हो जाता है।
खतरा कब बढ़ता है
जब मौसम बदलता है तो इसकी आशंका अधिक रहती है। जिनकी इम्युनिटी कम होती है उनमें भी इसके होने की आशंका रहती है।
जांच और इलाज
इस बीमारी की पहचान के लिए रीढ़ की हड्डी से द्रव निकालकर उसका अलग-अलग मानकों मसलन, बैक्टीरिया, वायरस या फंगस आदि किस कारण से हुआ है। उसकी पहचान होती है। इसके बाद उन कारणों का इलाज किया जाता है। जैसे बैक्टीरियल है तो एंटीबैक्टीरियल दवा देते हैं जबकि फंगल या वायरस है तो उसके लिए एंटीफंगल और एंटीवायरस दवा देते हैं। गैर संक्रामक मेनिनजाइटिस का इलाज कोर्टिसोन दवाओं (खास एलर्जी के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयां) की मदद से किया जा सकता है। कुछ मामलों में तो दवा की भी जरूरत नहीं पड़ती है। गंभीर स्थिति में मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती करना होता है।
वैक्सीन और हाइजीन से बचाव हो सकता
इस बीमारी के बचावों पर ध्यान दें। भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाते हैं तो मास्क लगाएं। धू्रमपान न करें। बच्चों-बुजुर्गों को न्यूमोकोकल वैक्सीन लगते हैं। वे भी लगवाएं। इनसे भी संक्रमण से बचाव होता है। वायरल संक्रमण भी हवा से फैलते हैं। इसका ध्यान रखें। पैरासाइट और फंगस से बचाव वाले काम करें जैसे घर में सीलन, जानवरों और पक्षियों के मल से दूर रहें। हाइजीन का ध्यान रखें कोई भी चीज किसी से अन्य के साथ साझा न करें।
Updated on:
29 Jun 2023 06:37 pm
Published on:
29 Jun 2023 06:35 pm
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