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जन्म के बाद एक से तीन साल के बीच का समय बच्चे के शरीर के विकास के लिए खास होता है। इस दौरान वह बोलना, सोचना, देखना, सुनना, चलना, दौडऩा और शारीरिक संतुलन बनाना सीखता है। इसमें प्रमुख होती है दिमागी क्षमता मजबूत होने के साथ सीखने-समझने की क्रिया। जानते हैं कि इस दौरान बच्चे के लिए क्या जरूरी है और क्या नहीं।
अच्छी आदतें बनाएंगी बच्चे को स्ट्रॉन्ग
एक साल की उम्र के बाद बच्चे को ऐसी बातें सिखाएं जो भविष्य के लिए परेशानी न बने। जैसे-
भोजन करने के दौरान उसे किसी बड़े के साथ बिठाएं ताकि वह उन्हें देखकर रोटी तोडऩा, चम्मच पकडऩा और मुंह में कोर डालना सीखे।
बच्चे को खेल-खेल में खाने की आदत डलवाएं। इससे वह खुद से चीजों को उठाकर खाना सीखेगा।
किसी गलत गतिविधि पर उसे डांटने, मारने या समझाने के बजाय केवल ‘नो’ या नहीं के शब्दों की पहचान करवाएं। यह शब्द सुनते ही वह धीरे-धीरे समझेगा कि वह जो कर रहा है, गलत है।
बच्चे को गोद लेने की आदत न डालें। उसे खुद से खड़े होने, चलने और बैठने की कोशिश करने दें। साथ ही उसे वॉकर में न बिठाएं। इससे उसके कूल्हे की मांसपेशियां सक्रिय नहीं हो पाएंगी।
रोगों की आशंका: सतर्कता जरूरी
इस उम्र में शिशु को अतिरिक्त पौष्टिक तत्त्वों जैसे कैल्शियम, आयरन व विटामिन की जरूरत होती है। इनकी कमी से उसमें कुपोषण, जोड़ संबंधी विकृति, सोचने-समझने व बोलने की क्षमता प्रभावित होने जैसी तकलीफें होने लगती हैं। इसके अलावा इस उम्र में डायरिया, निमोनिया, खांसी की आशंका भी रहती है। बच्चे में जुकाम को नजरअंदाज न करें, वरना कान बहने की दिक्कत सामने आती है। कई बार कुछ रोगों के लक्षण शुरू के एक साल के बजाय शारीरिक विकास के दौरान दिखते हैं। जैसे दिमाग की बनावट में विकृति से दौरे आने व १५वें माह के आसपास बच्चे के न बोलने व सामाजिक जुड़ाव के अभाव से ऑटिज्म की शिकायत।
टीकाकरण का रखें ध्यान
कब कौनसा टीका जरूरी
१५वे महीने पर : खसरा, कंफेड और मीसल्स से बचाव के लिए एमएमआर टीका।
डेढ़ साल पर : डीपीटी, पोलियो, हिब, हेपेटाइटिस-ए की दूसरी खुराक देते हैं।
दो साल पर : टायफॉइड का टीका, जिसे हर तील साल बाद दोहराते हैं।
डाइट : दिन में चार बार भोजन जरूरी
बच्चे को दिन में चार बार भोजन दें। कोशिश करें कि बच्चे को दिनभर में आधा लीटर दूध जरूर पिलाएं। इससे उसमें कैल्शियम की पूर्ति होती रहेगी। भोजन में दाल, चपाती, चावल, सब्जी या एक फल शामिल करें। ६ माह बाद बच्चे को मां के दूध के साथ ऊपर का दूध देना शुरू करें। लेकिन जरूरी है कि साथ में बच्चे को अन्य चीजें भी खाने को दें। ८-९वें माह से उसे गेहूं से बनी चीजें जैसे दलिया व खिचड़ी दे सकते हंै। साथ ही चावल का मांड, दाल का पानी शरीर में पौष्टिक तत्त्वों की पूर्ति करते हैं। हाई प्रोटीन के लिए बच्चे को अंडा या फिश भी खिला सकते हैं।
Updated on:
14 Apr 2018 05:16 am
Published on:
14 Apr 2018 04:34 am
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