
कनाडा के वाटरलू विश्वविद्यालय में हुई एक स्टडी में सक्रिय सहभागिता से सीखने और स्मृति के फायदे के बारे में बताया गया है। स्टडी के अनुसार बोलने और सुनने से शब्द जाना-पहचाना बन जाता है और मस्तिष्क में देर तक उसके रहने की संभावना बढ़ जाती है।

जब हम सक्रिय उपाय या उत्पादन तत्व किसी शब्द के साथ जोड़ते हैं, तो वह शब्द खास बनकर हमें याद रहता है। इसमें शामिल दल ने लिखी हुई चीजों को याद रखने की चार विधियों का परीक्षण किया, जिनमें शांत होकर पढऩा, किसी को पढक़र सुनाना, अपने पढ़े हुए को रिकॉर्ड करके सुनना और जोर से पढऩा शामिल था। इस दौरान पाया गया कि जोर से पढऩे का प्रभाव, याद्दाश्त के लिए सबसे अच्छा है।

मेडिटेशन भी है एक तरीका - याद्दाश्त बढ़ाने के लिए मेडिटेशन का सहारा भी लिया जा सकता है। उम्र के साथ और टेक्नोलॉजी के ज्यादा इस्तेमाल से हमारी याद्दाश्त कमजोर होने लगती है, लेकिन थोड़ी सी मेंटल एक्सरसाइज या मेडिटेशन से इसे सुधारा जा सकता है। मेडिटेशन के लिए किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं और 10 मिनट के लिए आंखें बंद कर लें और सिर्फ अपनी सांसों के आवागमन पर ध्यान दें। समय की जानकारी के लिए बार-बार घड़ी देखने की बजाय अलार्म लगा लें ताकि ध्यान भटके नहीं। नियमित तौर पर कम से कम इसे 30 दिन तक करने पर इसका असर याद्दाश्त पर दिखाई देता है।