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अस्थमा से बचाव करना है तो अपनाएं ये टिप्स, मिलेगी राहत

Prevent Asthma: अस्थमा और सांस संबंधी समस्याएं दरअसल एलर्जी, प्रदूषण आदि से होते हैं। यदि बचपन से ही इस पर ध्यान दिया जाए तो श्वसन रोगों से दूर रहा जा सकता है। 15-16 साल से कम उम्र के बच्चों में पूरी तरह ठीक हो सकता है।

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बस्सी

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Jyoti Kumar

Jul 29, 2023

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Prevent Asthma: अस्थमा और सांस संबंधी समस्याएं दरअसल एलर्जी, प्रदूषण आदि से होते हैं। यदि बचपन से ही इस पर ध्यान दिया जाए तो श्वसन रोगों से दूर रहा जा सकता है। 15-16 साल से कम उम्र के बच्चों में पूरी तरह ठीक हो सकता है।

विटामिन डी की कमी
कई शुरुआती रिसर्च में यह सामने आया है कि विटामिन डी की कमी से भी अस्थमा हो सकता है। यह गर्भवती महिलाओं से होने वाली संतानों में भी हो सकता है। अत: विटामिन डी के लिए सुबह धूप में रहें। डेयरी प्रोडक्ट लें।

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इनसे भी रहता खतरा
सांस संबंधी समस्याओं में ट्रिगर पहचानना जरूरी है। ट्रिगर का अर्थ है, समस्या बढ़ाने वाले कारण। जैसे- कोई पुरानी किताब खोलना, चीजें, मौसम, किसी फूल का गंध आदि।

अटैक में सीधे बैठाएं
अटैक आने पर मरीज को सीधे बैठाएं। फिर धीमी, लगातार सांसे लेने के लिए कहें। इनहेलर से लगातार सांस लेते रहें। अगर संभव हो सके, तो तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें।

गंभीरता समझें
अस्थमा को तब गंभीर मान लेना चाहिए, जब चलने या बोलने से सांस फूलने या सांस तेज चलने लगे। ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सकीय परामर्श या अस्पताल जाने की जरूरत होगी।

कैसा हो आहार
अस्थमा में आहार बदलने से बहुत प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि इम्युनिटी बेहतर रखने के लिए मौसम आधारित आहार लेना चाहिए। जो चीजें समस्या बढ़ाएं, उन्हें छोडऩा ही बेहतर है।

बचने के ये उपाय
अस्थमा, एलर्जी सहित दूसरे श्वसन रोगों से बचने के लिए सावधानी बरतना अनिवार्य है। कुछ बिंदुओं पर गौर करें-
प्रदूषण से बचाव करें, स्मोकिंग करते हैं तत्काल छोड़ दें।
सेकंड हैंड स्मोक (धूम्रपान के छोड़े हुए धुएं के संपर्क में आना), लकडिय़ों वाले चूल्हे का धुआं आदि से दूरी भी जरूरी है।
बच्चों के धूल-धुएं के संपर्क में आने से भी श्वसन रोगों की आशंका रहती है, अत: इससे बचाव करना आवश्यक है।
घरों में साफ-सफाई अच्छे-से हो, ताकि फंगस आदि से इंफेक्शन न हो। सफाई करते भी हैं तो गीले कपड़े से करें ताकि धूल न उड़े। धूल से अधिक समस्या होती है।

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दवा की डोज खुद तय न करें

दवाइयां और इनहेलर हमेशा अपने पास रखें। जरूरत पर इस्तेमाल करें।
खुद से दवाइयां बंद या शुरू न करें। पूरा कोर्स लें। बीच में दवा न छोड़ें।
मास्क लगाकर रहें। बाहर निकलते समय मास्क लगाते हैं तो अटैक की आशंका घटती है।
डॉक्टरी सलाह से सांस से जुड़े हल्के व्यायाम नियमित करें।