scriptयात्री कृपया ध्यान दें… रोडवेज के डूंगरपुर आगार के हाल, बसों की स्थिति खराब, आसान नहीं सफर | Passengers please note The condition of Dungarpur Roadways depot, the Condom Busesis bad travelling is not easy RSRTC | Patrika News
डूंगरपुर

यात्री कृपया ध्यान दें… रोडवेज के डूंगरपुर आगार के हाल, बसों की स्थिति खराब, आसान नहीं सफर

Rajasthan Roadways Condom Buses : जनजाति बाहुल्य डूंगरपुर जिले में यातायात के प्रमुख साधन रोडवेज की बसें हैं। लेकिन, खस्ताहाल बसें, विभिन्न रूटों पर तय अंतराल में बसों की अनुपलब्धता एवं बीच राह में बसें बंद होने पर धक्का मार काम चलाना रोडवेज की मजबूरी सा बन गया है। इसका कारण रोडवेज के डूंगरपुर आगार में तकनीकी कार्मिकों की कमी, नई बसों की व्यवस्था में कोताही एवं जिन गांवों में यातायात के साधन उपलब्ध नहीं है वहां रोडवेज की बसों के प्रबंध में जिम्मेदारों की अनदेखी है। इससे यात्री आए दिन परेशान हो रहे हैं। रोडवेज के हालातों पर पेश है पहली रिपोर्ट…

डूंगरपुरJun 07, 2024 / 05:00 pm

Omprakash Dhaka

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Dungarpur News : डूंगरपुर जिले में रोडवेज की बसों की कमी के बीच कार्मिकों के टोटे ने भी परेशानियां बढ़ा दी है। हालात यह हैं कि तकनीकी कार्मिकों के साथ चालक व परिचालक के कई पद खाली पड़े हुए है। जिससे मौजूदा कार्मिकों पर कार्य भार अधिक होने के साथ ही कई तरह की परेशानियां खड़ी हो रही है। सीमित कार्मिक दुगुना काम करने को मजबूर है। इसके बावजूद कार्मिकों को समय पर वेतन भी नही मिल पा रहा है। राजस्थान परिवहन निगम के बस डिपो में अलग-अलग सेक्शनों में अलग-अलग तकनीकी कर्मचारियों के पद मंजूर है। डिपो में डीजल, इलेक्ट्रीक, कबानी सहित कई सेक्शन है। जिसमें कुल 70 पद हैं, लेकिन वर्तमान में महज 15 तकनीकी कार्मिक ही कार्यरत है। ये कर्मचारी दो सेक्शन में काम करते है। एक सेक्शन सुबह में नौ व दूसरे सेक्शन रात में छह कार्मिक काम करते हैं।

आईटीआई के युवाओं से लेते है काम

कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होने से बसों की मरमत करने के लिए निगम आईटीआई में मैकेनिकल किए युवाओं से काम ले रहा है और इसके बदले उनको मेहनताना दिया जाता है। अभी फिलहाल आईटीआई मैकेनिकल किए 12 जने कार्यरत है। बताया जाता हैं कि निगम ने तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्त वर्ष 2013 में हुई थी। इसके बाद 11 साल बीतने के बावजूद एक बार भी नियुक्ति नही हुई है। रिक्त पदों के चलते रोडवेज बेड़े की बीमार बसों को चलाने में दिक्कत हो रही है।

बस चालकों व परिचालकों का भी टोटा

निगम में फिलहाल चालक व परिचालकों का भी टोटा है। वर्तमान में 82 चालक व 60 परिचालक नियुक्त है। निगम में 107 चालक व 105 परिचालकों की आवश्यकता है। वहीं, निगम को बसों की आवश्यकता है। निगम में वर्तमान में 52 बसें संचालित है। इसमें पांच बसें अनुबंधित है। इसमें भी आधी बसें कण्ड़म हो चुकी है। बसों का पर्याप्त संचालन नहीं होने से लोगों को भी आए दिन परेशान होना पड़ रहा है। इसके साथ ही आधे से अधिक गांव ऐसे भी हैं, जहां आज भी रोडवेज की बसों का संचालन नहीं हो रहा है। जिससे लोग निजी वाहनों पर निर्भर हैं।

सुविधा से दूर उपतहसील बनकोड़ा कस्बा

बनकोड़ा कस्बे को दो साल भले ही पूर्व उपतहसील का दर्जा मिल गया हो, लेकिन यहां वर्षों से रोडवेज की बसें नही आना हर किसी को हैरत में डाल रहा है। एक समय बनकोड़ा कस्बे में राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की 25 बसें आती और जाती थी। आसपुर-डूंगरपुर जो बसें चलती थी वे नियमित रूप से यहां से होकर जाती थी, लेकिन अब पिछले कई वर्षों से बसें मोवाई मोड़ से सीधी डूंगरपुर या आसपुर के लिए निकल जाती है। पहलें यहां अहमदाबाद -बांसवाड़ा, नीमच-अहमदाबाद, डूंगरपुर-जयपुर, सलुबर-डूंगरपुर, विजवामाता- बड़ोदरा की द्रुतगामी बसें आती जाती थी तो यात्रियों को काफी सुविधा मिलती थी। अब हालत यह है कि शाम ढ़लने के बाद मोवाई मोड़ से बनकोड़ा तक पैदल चलकर आना पड़ता है। वर्तमान में रोडवेज की केवल दो बसें धरियावाद-अहमदाबाद और सलुबर से बस बनकोड़ा होकर गुजरती है।

प्राइवेट वाहनों से सफर की मजबूरी

रोडवेज की बसें नहीं आने से लोगों को निजी बसों तथा टेपों में सफर करना मजबूरी बन चुकी है जबकि इसमें मनमाना किराया वसूला जाता है। स्थानीय लोगों ने इस संबंध में रोडवेज अधिकारियों, पूर्व विधायक तथा सांसद को भी अवगत कराया लेकिन कोई समाधान नहीं हो सका। यहां रोड़वेज की बसें नहीं चलने से महिलाओं, बुजुर्गों, दिव्यांगों को तो किराए में छूट का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। रोड़वेज बसें तो यहां नहीं आती पर यात्री प्रतिक्षालय का भी कोई ठोर-ठिकाना नहीं है। वर्ष 2012 में यहां यात्री प्रतिक्षालय की जमीन भी हाट बाजार की दुकानों के निर्माण में शामिल कर ली गई। अब यात्रियों को ठंड, गर्मी हो या बारिश कहीं भी विश्राम स्थल नहीं होने से निजी बसों के इंतजार में इधर-उधर भटकना पड़ता है।

ग्रामीण हो रहे परेशान

स्थानीय कस्बे के पवन मालवी, दीपसिंह पंवार, नरेन्द्रसिंह चौहान, नाथूसिंह चौहान, अनिल शाह, राकेश भमावत, कन्हैयालाल भोई, कांतिलाल कलाल, गौतम व्यास, दिलीप मीणा, प्रकाश मीणा ने बताया कि रोड़वेज की समस्त बसें जो डूंगरपुर-आसपुर या आगे के राज्यों गुजरात व मध्यप्रदेश तक आती जाती है तो उन्हे मोवाई मोड़ से तीन किलोमीटर अंदर बनकोड़ा तक आने में क्या परेशानी है? कोई नई बसें या संसाधन तो परिवहन विभाग को जुटाने नहीं पड़ रहे है। इन्हीं सभी बसों को बनकोड़ा आना है। अब लोगों ने राजस्थान सरकार के पोर्टल पर भी अपनी यह शिकायत दर्ज करवाना शुरू कर दिया है।

इनका कहना…

अभी फिलहाल तकनीकी कार्मिकों के कई पद खाली पड़े हुए है, लेकिन आईटीआई में मैकेनिकल से निकले युवाओं से काम चलाया जा रहा है।

– नरेश मीणा, प्रबंधक संचालन, राजस्थान परिवहन निगम डूंगरपुर
राज्य परिवहन निगम खाते में मौजा सीमलवाड़ा में 0.3236 हेक्टेयर भूमि होते हुए निजी वाहनों द्वारा अंदर पार्किग कर यात्रियों को ले जाया जा रहा है।पुलिस एवम प्रशासन के अधिकारियो को कई बार सुधार के लिए प्रार्थना पत्र सौपे सुनवाई नहीं की जा रही है।
-हितेशकुमार पंड्या,स्टेशन प्रभारी रोडवेज सीनकवाड़ा।

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