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यहां श्रद्धालु अपनी दांतों से उठाते हैं 42 किलो की तलवार, जानें मंदिर से जुड़ी 10 अनोखी बातें

Khandoba Temple : पुणे में स्थित है खंडोबा मंदिर, भगवान शिव की होती है पूजा मंदिर तक पहुंचने के लिए पार करनी होती है दो सौ से भी ज्यादा सीढ़ियां

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नई दिल्ली। देश में कई ऐसे चमत्कारिक मंदिर हैं जिनकी अलग-अलग मान्यताएं हैं। आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां श्रद्धालु अपनी भक्ति साबित करने के लिए अपने दांतों से 42 किलो की भारी भरकम तलवार उठाते हैं। इस मंदिर का नाम खंडोबा है। यहां दशहरे के मौके पर विशाल मेले का आयोजन होता है।

1.खंडोबा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि पृथ्वी पर मल्ल और मणि राक्षस के अत्याचार बढ़ने के बाद उनका खात्मा करने के लिए आए थे ।

2.यह मंदिर पुणे से लगभग 48 किलोमीटर दूर स्थित जेजुरी में स्थित है। से मराठी भाषा में 'खंडोबाची जेजुरी' (खंडोबा की जेजुरी) के नाम से भी जाना जाता है।

3.जेजुरी में स्थित खंडोबा मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थापित है। यहां पहुँचने के लिए करीब दो सौ से ज्यादा सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं।

4.मराठी में किसी बड़े को सम्मान देते हुए नाम के बाद 'बा', 'राव' या 'राया' लगाया जाता है इसलिए इन्हें खंडोबा, खंडेराया और खंडेराव के नाम से भी पुकारा जाता है।

5.यह मंदिर हेमाड़पंथी शैली में बना हुआ है। यहां करीब 10 से 12 फीट आकार का पीतल से बना कछुआ भी स्थापित है। दशहरे के दिन यहाँ तलवारों को ज़्यादा समय तक उठाने की प्रतिस्पर्द्धा होती है।

6.दशहरे के मौके पर मंदिर में विशाल मेले का आयोजन होता है। यहां सोने की तलवार रखी जाती है। जिसका वजन लगभग 42 किलो होता है। श्रद्धालु इसे अपनी दांतों से उठाकर अपनी भक्ति साबित करते हैं।

7.मान्यता है कि खंडोबा मंदिर में दर्शन करने से निसंतान दंपत्तियों को लाभ होता है। साथ ही जिनके विवाह में बाधाएं आती हैं वो दूर होती हैं। बताया जाता है कि भक्त की मनोकामना पूरी होने पर मणि दानव की प्रतिमा के सामने बलि भी दी जाती है।

8.खंडोबा मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा है। जो एक घोड़े पर सवार एक योद्धा के रूप में नजर आते हैं उनके हाथ में राक्षसों को मारने के लिए एक बड़ी खड्ग भी है।

9.पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने मार्तण्ड भैरव के रूप में यहां राक्षसों के संघार के लिए आए थे। जिन्हें खंडोबा के नाम से जाना जाता है।

10.कहा जाता है कि इस उत्तेजना में मार्तण्ड भैरव चमकते हुए सुनहरे सूरज की तरह लग रहे थे, पूरे शरीर पर हल्दी लगा हुआ था जिसकी वजह से उन्हें हरिद्रा भी कहा जाता है।