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बहुत दर्दनाक है एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी की स्टोरी, ना जॉब, ना घर.. पति ने भी दिया तलाक, जी रही हैं ऐसी जिंदगी, जानें 10 बातें

सेलेब्रिटी बन चुकी एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी(Laxmi Agarwal) हो गई हैं दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर, छपाक के बाद बदलेगी किस्मत..

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नई दिल्ली। अभिनेत्री दीपिका पादुकोण (deepika padukone) की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'छपाक'(chhapaak) कल रिलीज होने जा रही है। फिल्म में 'एसिड अटैक सर्वाइवर' (acid attack survivor )का किरदार निभाती नज़र आएंगी। फिल्म लक्ष्मी अग्रवाल (Laxmi Agarwal) के जीवन पर बनाई जा रही है जिसे मेघना गुलजार (meghna gulzar) डायरेक्ट करेंगी।लक्ष्मी की कहानी इतनी दर्दनाक है जिसे जानकर किसी की भी रुह कांप जाएगी। आज हम आपको लक्ष्मी के बारें में 10 बाते बताने जा रहे हैं जो शायद ही आपको पता हो।

1- लक्ष्मी अग्रवाल (Laxmi Agarwal) दिल्ली की रहने वाली हैं। घर की आथि्रक हालत अच्छी नहीं होने के कारण वे दिल्ली के खान मार्केट में एक किताब की दुकान पर काम करने लगी थी। साल 2005 में लक्ष्मी जब वो एसिड अटैक का शिकार हुई तब वे सिर्फ 15 साल थी ।

2- एक 32 साल एक के सिरफिरे ने लक्ष्मी (Laxmi Agarwal) से शादी के लिए प्रपोज कर दिया. 15 साल की लक्ष्मी को इन सब बातों को ठीक से मतलब भी नहीं पता था तो उसने इसके लिए इंकार कर दिया।वो उस वक्त मान गया और वापस चला गया। लक्ष्मी को लगा सब ठिक है वो राोजाना की तरह स्कूल से अपने घर जाने के लिए बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रही थी, तभी उस सिरफिरे ने अपने भाई की गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर लक्ष्मी के ऊपर एसिड डाल दिया और वहीं से भाग गया।

3- इस हादसे की वजह से लक्ष्मी का पूरा चेहरा बुरी तरह झुलस गया। उन्हें तुरंत दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया।लक्ष्मी ने बताया कि उनके मुंह पर तेजाब गिराने वाले उस लड़के के साथ एक लड़की भी शामिल थी।

4- लक्ष्मी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, तेजाब गिरते ही किसी प्लास्टिक की तरह मेरी चमड़ी पिघल रही थी । उस समय ऐसा लग रहा था कि मानो उनके सिर पर जैसे कई पत्थर रख दिए गए हो। अस्‍पताल में जब मैंने अपने पिता को गले लगाया तो उनकी शर्ट कई जगह से जल गई।

5- लक्ष्मी ने बताया कि जब डॉक्टर्स उनकी आंखें सिल रहे थे तब वे वो होश में थी।कई सर्जरीज और ढाई महीने बाद जब वो अपने घर लौटीं तो उनके परिवार के लोगों ने घर से सारे शीशे हटा दिए थे क्यों की उस वक्त उनका चेहरा बेहद डरावना लगता था।

6- लक्ष्मी ने बताया एक दिन हिमम्त करके मैंने अपना चेहरा शीशे में देखा। मुझे अपने आप से नफरत हो गई और मैंने खुद को खत्म करने के ठान ली। लेकिन फिर पापा ने मुझे हौसला दिया और मैंने जिंदगी में एक नई शुरुआत करने की ठान ली।

7- लक्ष्मी एसिड अटैक होने के बाद भी उठ खड़ी हुई और एसिड अटैक के खिलाफ़ सबसे बुलंद आवाज़ उठाई। कोर्ट में जनहित याचिकाएं डालीं। टेड टॉक में प्रेजेंटेशन दिया। अपने एफर्टस के चलते आज लक्ष्मी अग्रवाल एक जाना माना नाम हो चुकी हैं। इसी जिजीविषा के चलते 2014 में मिशेल ओबामा ने लक्ष्मी को ‘इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज’ अवॉर्ड से नवाज़ा था।

8- लक्ष्मी ने शीरोज नाम के एक कैफे की शुरुआत की. ये कैफे तीन राज्यों में चल रहा है। अपने हैसले की वजह से आज लक्ष्मी दुनिया भर में जानी जाती हैं। साल 2014 में ही उन्हें आलोक दीक्षित के साथ प्यार हुआ. इसके बाद दोनों ने शादी करने की बजाय लिव-इन में रहने का फैसला किया. इन दोनों की एक बच्ची भी है। लेकिन तीन साल पहले दोनों ने अलग होने का फैसला कर लिया। अब दोनों अलग हो चुके हैं।

9- पिछले साल खबर आई थी कि लक्ष्मी अग्रवार आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। एक इंटरव्यू में लक्ष्मी ने कहा था कि उनके पास घर का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं हैं। उनका कहना है कि लोगों को लगता है कि उन्होंने बहुत सारे अवॉर्ड जीते हैं और शोज में हिस्सा लिया है तो बहुत पैसा होगा लेकिन आजकल उनकी माली हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है। हालत यह है कि अब वो नौकरी की तलाश में घूम रही हैं. जिसके साथ वो लिव-इन में रहीं अब उन्होंने भी लक्ष्मी और उनकी बेटी का खर्च उठाने पर हाथ खड़े कर दिए हैं. लक्ष्मी के पार्टनर आलोक दीक्षित का कहना है कि वो अब लक्ष्मी और बेटी पीहू को पैसों की कोई भी मदद नही कर सकते।

10- 30 साल की लक्ष्मी का कहना है कि 4 साल पहले ही मेरी लाइफ बिल्कुल परफेक्ट लग रही थी। मैंने Stop Acid Attack Campaign के फाउंडर Alok Dixit के साथ लिव-इन में रहने का फैसला किया. हमें एक बेटी भी हुई. लेकिन बेटी होने के बाद हम दोनों अलग हो गए और मैंने बेटी की जिम्मेदारी ली। एक एनजीओ में मैंने 10 हज़ार रुपए महीने की सैलरी पर काम भी किया. लेकिन साल 2017 में वो भी छोड़नी पड़ी।वहीं, आलोक दीक्षित का कहना है कि मेरे पास पैसे नहीं है. मेरे अकाउंट में 5 हज़ार रुपए भी नहीं है. ना ही कोई रेगुलर जॉब है. कार्यकर्ता इसी तरह जीते हैं और मेरे पास जितने भी पैसे थे वो मेरी एनजीओ की तरफ से एसिड पीड़िताओं के लिए खर्च हो गए। लेकिन अब जब उनके उपर फिल्म बन कही है तो माना जा रहा हैं उनकी जिंदगी बेहतर हो सकती है।