
नई दिल्ली। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आजकल दो दिवसीय भारत दौरे पर है। उनकी मुलाकात पीएम नरेंद्र मोदी से तमिलनाडु के शहर महाबलीपुरम में होगी। महाबलीपुरम को इस महामुलाकात के लिए चुनने के पीछे कुछ खास कारण छिपे हुए हैं। बताया जाता है कि इस शहर का चीन से करीब 1700 साल पुराना इतिहास रहा है।
1.चेन्नई से करीब 60 किलोमीटर दूर महाबलीपुरम से चीन का गहरा रिश्ता रहा है। पुराने जमाने में महाबलीपुरम के चीन से व्यापारिक संबंध थे। इसी के चलते पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति से मिलने के लिए इस जगह का चुनाव किया।
2. महाबलीपुरम तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित है। महाबलीपुरम को सातवीं सदी में पल्लव वंश के राजा नरसिंह देव बर्मन ने बसाया था।
3.राजा नरसिंह देव बर्मन को उस इलाके में मामल्लपुरम भी कहा जाता है इसलिए महाबलीपुरम को मामल्लपुरम के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा प्राचीन काल में इस शहर को बाणपुर भी कहा जाता था।
4.महाबलीपुरम का चीन के साथ रक्षा और व्यापार का नाता रहा है। पल्लव वंश के शासक चीन के व्यापारियों के साथ संबंध रखते थे। बताया जाता है कि ये रिश्ता करीब 1700 साल पुराना रहा है।
5.महाबलीपुरम के बंदरगाह से चीन से सामान आयात और निर्यात किया जाता था।
6.आठवीं शताब्दी में चीन के राजा और पल्लव वंश के शासक राजा सिम्हन 2 के साथ पहली बार रक्षा के क्षेत्र में स्ट्रैटजिक पैक्ट हुआ था।
7.चीन पर महाबलीपुरम के राजा नरसिम्हन 2 का इतना प्रभाव था कि चीन ने उन्हें तिब्बत की सीमा से लगे दक्षिणी चीन का जनरल नियुक्त कर दिया था।
8.पल्लव राजा के तीसरे राजकुमार बोधिधर्म बौद्ध भिक्षु बन गए थे। उन्होंने 527 AD में कांचीपुरम से महाबलीपुरम होते हुए चीन की यात्रा की थी। उन्होंने चीन में अपना खास मुकाम बनाया था।
9.7वीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेन सांग कांचीपुरम पहुंचा था। उस दौरान महाबलीपुरम एक केंद्र के तौर पर विकसित था।
10.भारतीय पुरातत्व विभाग को महाबलीपुरम में रिसर्च के दौरान चीन, फारस और रोम के प्राचीन सिक्के भी मिले हैं।
Published on:
11 Oct 2019 02:46 pm
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