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दस का दम

यादों के पन्नों में सिमटकर रह जाएगी राजकपूर की ये देन, ऐसा रहा आरके स्टूडियो का सफर

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6 years ago
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कपूर खानदान के महानायक और बॉलीवुड के शो मेकर राज कपूर का आरके स्टूडियो अब जल्द ही इतिहास के पन्नों में सिमटने वाला है। पिछले 70 सालों से हर परिस्थितियों में साथ खड़ा रहने वाला स्टूडियो आज खुद के साथ के लिए तरस रहा है। राज कपूर की ये आखिरी निशानी अब बिकने की कगार पर है। तो क्या है इसकी वजह और कौन-सी यादें जुड़ी हैं इस स्टूडियो से आइए जानते हैं।

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आरके स्टूडियो की नींव राज कपूर ने 70 साल पहले सन् 1948 में रखी थी। इस स्टूडियो के बैनर तले बनाई गई पहली फ़िल्म का नाम आग थी। जो कि सिनेमाघरों में फ्लॉप हो गई थी। मगर इसके बाद दोबारा दूसरी मूवी बनाई गई, जिसका नाम बरसात था। फ़िल्म के नाम की तरह ही लोगों का प्यार भी इस पर जमकर बरसा था।

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स्टूडियो का लोगो राज कपूर की फ़िल्म बरसात के आधार पर ही रखा गया। जिसमें राज कपूर और नर्गिस के साथ नजर आ रहे हैं।

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इस स्टूडियो ने कई क्लासिक और ड्रामाटिक फ़िल्मों का निर्माण हुआ है। जिनमें आग, बरसात, आवारा, श्री 420, संगम, मेरा नाम जोकर, बॉबी और राम तेरी गंगा मैली जैसी कई फ़िल्में शामिल रही हैं। इनमें से ज्यादातर मूवीज हिट रही हैं।

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आरके स्टूडियो मुंबई के चैम्बूर इलाक़े में स्थित है, जो करीब 2 एकड़ में जमीन में फैला हुआ है। ये स्टूडियो कपूर खानदान के लिए बहुत खास है, क्योंकि यहीं सभी ने बैठकर अपने सुख—दुख सांझा किए हैं।

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आरके स्टूडियो की होली भी बहुत मशहूर थी। राज कपूर के वक्त यहां एक से एक दिग्गज सितारों का मेला लगता था। सब खूब जोश के साथ होली मनाते थे। राज कपूर खुद ढोलक और हारमोनियम लेकर शुरू हो जाते थे। वहीं सेलेब्स को पानी में भिगोने के लिए यहां बड़े-बड़े हौजों में रंग भरा जाता था।

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आरके स्टूडियो की होली के अलावाा यहां मनाया जाने वाला गणेशोत्सव भी बेहद खास थ। यहां हर साल गणेश चतुर्थी पर गजानन की स्थापना की जाती थी। राजकपूर की मौत के बाद भी उनके तीनों भाइयों ने ये परंपरा जारी रखी। यहां हर साल धूमधाम से गणपति का स्वागत किया जाता है। मगर स्टूडियो के बिकने की खबर से इस पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।

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राज कपूर ने अपने करियर में कई शानदार फ़िल्में दी हैं, मगर एक वक़्त ऐसा भी आया जब उन्हें अपने पसंदीदा आरके स्टूडियो को गिरवी रखना पड़ा। दरअसल राज कपूर अपनी एक महत्वाकांक्षी फ़िल्म बनाना चाहते थे, जिसका नाम मेरा नाम जोकर था। इस मूवी को बनाने के लिए उन्होंने बहुत पैसा खर्च किया था। जिसके चलते उन्होंने स्टूडियो का दांव पर लगाना पड़ा था।

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फ़िल्म रिलीज़ होने पर ये बुरी तरह से फ्लॉप हो गई। इससे राज कपूर को गहरा सदमा पहुंचा था। बाद में इस स्टूडियो के बैनर तले बनी मूवी से ऋषि कपूर को लांच किया गया था। इसके लिए बॉबी बनाई गई थी। जो जबरदस्त हिट साबित हुई। इस मूवी की कमाई से ही आरके स्टूडियो का कर्ज चुकाया गया था।

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राज कूपर के निधन के बाद उनके भाइयों ने स्टूडियो के रख-रखाव की जिम्मेदारी ली थी। कुछ दिनों बाद स्टूडियो में मूवीज का निर्माण कार्य भी धीरे-धीरे बंद हो गया। स्टूडियो की अब आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं रही। ऐसे में पिछले साल सितम्बर में स्टूडियो लगी आग से ये मुश्किल और बढ़ गई। कपूर फैमिली ने स्टूडियो को दोबारा खड़ा करने का मन बनाया, लेकिन व्यवहारिक दिक्कतों के चलते इसे बेचने का फैसला लिया गया।

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गौरतलब है कि स्टूडियो को बेचने के लिए कपूर परिवार ने राज कपूर के तीनों बेटे रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर के अलावा दोनों बेटियों रीमा जैन और रितु नंदा की स्वीकृति ली है। इसके बाद उन्होंने प्रॉपर्टी डीलरों,डेवलपरों और कॉरपोरेटरों से संपर्क किया है।

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