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अलविदा : Rahat Induari जिसने कहा था, ‘किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’, पढ़िए उनके10 चुनिंदा शेर

Published: Aug 11, 2020 06:38:59 pm

Submitted by:

Vivhav Shukla

Top 10 Famous Urdu Sher Of Rahat Indori: राहत इंदौरी (Rahat Indori) एक ऐसे शायर थे जो किसी को अपनी शायरी से सम्मोहित कर लेते थे। आज हम आपको मशहूर शायर के 10 चुनिंदा शेर पढ़ाने जा रहे हैं…
 

Rahat indori dies here is the rahat indoris best 10  sher and shayari

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नई दिल्ली। देश के मशहूर शायर राहत इंदौरी (Rahat Indori) अब इस दुनिया में नहीं रहे। आज श्री अरबिंदो अस्पताल में उनका इंतकाल हो गया। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि राहत इंदौरी का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ है। वहीं इंदौर के जिलाधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित पाये जाने के बाद उन्हें श्री अरबिंदो अस्पताल में में भर्ती किया गया था।
राहत इंदौरी (Rahat Indori) एक ऐसे शायर थे जो किसी को अपनी शायरी से सम्मोहित कर लेते थे। आज हम आपको मशहूर शायर के 10 चुनिंदा शेर पढ़ाने जा रहे हैं…


राहत इंदौरी के 10 चुनिंदा शेर (Top 10 Famous Urdu Sher Of Rahat Indori)
1- किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है

आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है


ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था

मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था
मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना

मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था

2- तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो

मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे

जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे


3- नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से

ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यूं हैं
एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे

वो अलग हट गया आँधी को इशारा कर के

इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है

नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं
4- अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए

कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए

कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए

चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे

जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे


5- बुलाती है मगर जाने का नहीं

बुलाती है मगर जाने का नहीं

ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर

मगर हद से गुज़र जाने का नहीं

ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो

चले हो तो ठहर जाने का नहीं

सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं

वबा फैली हुई है हर तरफ

अभी माहौल मर जाने का नहीं

वो गर्दन नापता है नाप ले

मगर जालिम से डर जाने का नहीं
6- अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है

ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है

लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में

यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन

हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है

हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है

हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
जो आज साहिब-इ-मसनद हैं कल नहीं होंगे

किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी है

सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में

किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है

7- आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो

उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है

बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं


8- अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है

जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे

जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे

फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो

इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो


9- न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा


10- बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर

जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

 
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