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850 साल पुराने इस शिवलिंग को आज तक नहीं हिला पाया कोई, जानें राजेश्वर मंदिर से जुड़ी 10 खास बातें

Rajeshwar temple : दिन में तीन बार रंग बदलता है राजेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग बैलगाड़ी से नीचे गिरकर हुई थी चमत्कारिक शिवलिंग की स्थापना

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rajeshwar mahadev mandir

850 साल पुराने इस शिवलिंग को आज तक नहीं हिला पाया कोई, जानें राजेश्वर मंदिर से जुड़ी 10 खास बातें

नई दिल्ली। सावन का महीना शुरू हो गया है। ऐसे में शिवालयों में कांवड़ियों और भक्तों की भीड़ बढ़ गई है। इस पावन मौके पर हम आपको शिव के एक ऐसे चमत्कारिक धाम के बारे में बताएंगे जो करीब साढ़े आठ सौ साल पुराना है। यहां दर्शन करने मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। तो क्या है मंदिर की खासियत आइए जानते हैं।

1.शिव का यह अद्भुत धाम शमसाबाद रोड राजपुर चुंगी में स्थित है। इसका नाम राजेश्वर महादेव मंदिर है। ये करीब 850 साल पुराना है।

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2.मंदिर के ट्रस्ट के मुताबिक राजाखेड़ा के एक साहूकार इस चमत्कारी शिवलिंग को नर्मदा नदी से लाए थे।

3.बताया जाता है कि साहूकार शिवलिंग की स्थापना राजाखेड़ा में करना चाहते थे, लेकिन जब वो रात को आराम करने के लिए राजपुर चुंगी में रुके तो उन्हें सपने में शिवलिंग की स्थापना इस जगह करने का विचार आया। मगर आंख खुलते ही उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और अपने गंतव्य के लिए यहां से चलने लगे।

4.कहते हैं कि साहूकार जैसे ही शिवलिंग को बैलगाड़ी में ले जाने लगे तभी अचानक बैल वहीं रुक गए और शिवलिंग बैलगाड़ी से गिरकर जमीन पर स्थापित हो गया। साहूकार ने शिवलिंग को उठाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो इसमें नाकामयाब रहें।

5.मंदिर के पुजारियों के अनुसार बहुत से लोगों ने शिवलिंग को उस जगह से हटाने की कोशिश की। मगर सभी इसमें नाकामयाब साबित हुए। शिव की इस महिमा को देखने के बाद राजा ने इस स्थान पर ही मंदिर का निर्माण कराया।

6.बताया जाता है कि राजेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। सुबह की आरती के समय शिवलिंग का रंग सफेद होता है। शिव के इस स्वरूप के दर्शन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।

7.दोपहर की आरती के समय शिवलिंग का रंग बदलकर हल्का नीला हो जाता है। इस समय भोलेनाथ के दर्शन करने से साक्षात शिव के दर्शन होते हैं। इनके दर्शन से कष्टों का निवारण होता है।

8.राजेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग का रंग शाम की आरती के समय गुलाबी हो जाता है। शिव का ये रूप बड़ा मनमोहक होता है। इनके इस स्वरूप के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है।

9.सावन के पहले सोमवार से इस मंदिर में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें लगभग 200 से 300 कांवड़िये जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं।

10.सावन में मंदिर के कपाट भक्तों के लिए 4 बजे ही खुल जाते हैं जो कि रात साढ़े दस बजे तक खुले रहते हैं। मान्यता है इस शिव धाम में मत्था टेकने वाले कभी भी खाली हाथ नहीं जाते हैं। उनकी झोली हमेशा खुशियों से भरी रहती है।