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इस अंक से जुड़ा है श्रीकृष्ण की जिंदगी का राज, जानते ही दंग रह जाएंगे आप

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव इस बार 2 सितंबर को मनाया जाएगा। बांके बिहारी के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनसे जुड़े ऐसे रहस्यों के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे। इस राज में एक अंक का रहस्य भी छिपा हुआ है।

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इस अंक से जुड़ा है श्रीकृष्ण की जिंदगी का राज, जानते ही दंग रह जाएंगे आप

1.श्रीकृष्ण को सनातन धर्म का पूर्णावतार माना जाता है। शास्त्रों ने श्रीकृष्ण को पूर्ण अवतार कहा गया है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण के ध्यान मात्र से ही लोगों का कल्याण हो जाता है, लेकिन क्या आपको पता है बांके बिहारी के धरती पर जन्म से लेकर उनकी मृत्यु तक में एक विशेष अंक की अहम भूमिका रही है, ये अंक 8 है।

2.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। वे महानिशीथ काल में वृष लग्न में जन्में थे। इसमें अष्टमी तिथि होने के चलते 8 अंक खास माना गया है।

3.भगवान विष्णु ने द्वापर युग में अपने आठवें अवतार श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से मथुरा के कारागर में जन्म लिया था। इस घटना में भी अंक 8 का महत्व दिखता है।

4.उनका जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि को हुआ था। वे दिन के सात मुहूर्त निकलने के बाद आठवें पहर में जन्में थे। उस वक्त सभी ग्रह शुभ लग्न में थे।

5.नक्षत्रों के मुताबिक शनि आठवें घर का स्वामी है। श्रीकृष्ण चौथे नक्षत्र रोहिणी में अर्ध चंद्रमा के साथ पैदा हुए थे। ऐसे में नक्ष्रत्रों का योग भी आठ का बन रहा है।

6.श्रीकृष्ण वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र थे। उनकी मां देवकी महाभारत काल में मथुरा के राजा उग्रसेन के भाई देवक की कन्या थीं। देवकी की शादी के बाद उग्रसेन के क्रूर बेटे कंस को एक भविष्यवाणी के बारे में पता चला, जिसके तहत बताया गया कि उसका वध देवकी के आठवें बेटे के हाथों होगा। इसलिए कंस ने देवकी—वासुदेव के छ: बेटों की जन्म होते ही हत्या कर दी थी।

7.श्रीकृष्ण की आठ पत्नियां थी। जिनमें रुकमणि, सत्यभामा, सत्या, जाम्बवंती, कालिंदी, लक्ष्मणा, मित्रविंदा और भद्रा शामिल थीं। रुकमणि श्रीकृष्ण की पहली पत्नी थीं। महाभारत ग्रंथ के अनुसार विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि भगवान कृष्ण से प्रेम करती थी और उनसे विवाह करना चाहती थी इसलिए भक्त की भावना के सम्मान के लिए श्रीकृष्ण ने उनका हरण कर उनसे विवाह किया था।

8.श्रीकृष्ण के आठ मित्र भी थे। जिनमें सुदामा, अर्जुन, द्रौपदी, अक्रूर और सत्याकि आदि शामिल हैं। इन सभी मित्रों में बांके बिहारी के सबसे पक्के दोस्त सुदामा थे। दोनों एक ही गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करते थे। इनकी दोस्ती की मिसाल आज भी दी जाती है।

9.नंदलाला के आठ शत्रु भी थे। जिनमें कंस, जरासंध, कालयवन, शिशुपाल आदि शामिल थे। इन सभी में कंस श्रीकृष्ण के सबसे बड़े शत्रु थे। मामा होने के बावजूद वे कृष्ण को मारना चाहते थे, लेकिन उन्होंने कंस का संहार कर लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई।

10.श्रीकृष्ण के जन्म का मूलांक जहां आठ था वहीं उनकी मृत्यु के समय भी इस अंक ने खास भूमिका निभाई। दरअसल धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रीकृष्ण करीब 125 सालों तक जीवित थे। ऐसे में इसका योग भी 8 ही आता है।