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GST : क्या हुआ महंगा, क्या हआ सस्ता, देखिए यह लिस्ट

2017 के बाद से देश में 230 में से 200 Products को 28 फीसदी के स्लैब से किया गया बाहर
सस्ते मकानों पर GST Rates को घटाकर कर दिया गया एक फीसदी, आवास क्षेत्र पांच फीसदी

Aug 24, 2020 / 05:41 pm

Saurabh Sharma

GST: What became expensive, what was cheaper, see this list

GST: What became expensive, what was cheaper, see this list

नई दिल्ली। जीएसटी दरों ( GST Rate ) को जब से लागू किया गया है, तब से कई प्रोडक्ट्स की कीमतें कम हो गई है। जीएसटी लागू होने से लोगों को कई तरह के टैक्सों को मिलाकर एक बड़ी रकम चुकानी पड़ती थी। जिसे अब काफी कम कर दिया गया है। जीएसटी जब लागू हुआ था तब 230 प्रोडक्ट्स 28 फीसदी के स्लैब में थे, जिनमें से 90 फीसदी को कम स्लैब में ट्रांसफर कर दिया गया है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर जीएसटी में इस दौरान क्या सस्ता और क्या महंगा हुआ है। आपको बता दें कि अरुण जेटली की पुण्यतिथि ( Arun Jaitley Death Aniversery ) के मौके पर वित्त मंत्रालय ( Finance Ministry ) की ओर से कई ट्वीट किए गए हैं। जिनमें जीएसटी से जुड़े हुए आंकड़ें जारी किए गए हैं।

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200 प्रोडक्ट्स को किया गया सस्ता
फाइनेंस मिनिस्ट्री के अनुसार पहले 230 प्रोडक्ट्स 28 फीसदी के टैक्स स्लैब में थे। मौजूदा समय में 28 फीसदी का स्लैब सिर्फ अहितकर और विलासिता की वस्तुओं पर लगता है। करीब 200 प्रोडक्ट्स को निचले कर स्लैब में ट्रांसफर कर दिया गया है। मंत्रालय के अनुसार आवास क्षेत्र पांच फीसदी के कर स्लैब के तहत आता है। वहीं सस्ते मकानों पर जीएसटी की दर को घटाकर एक फीसदी कर दिया गया है।

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जानिए क्या हैं आंकड़े
फाइनेंस मिनिस्ट्री के अनुसार जीएसटी की वजह से भारी दरें अब काफी कम हो गई हैं। आरएनआर समिति की माने तो राजस्व तटस्थ दर 15.3 फीसदी है। इसके अलावा रिजर्व बैंक का जीएसटी की भारित दर सिर्फ 11.6 फीसदी है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जिस समय जीएसटी लागू हुआ था तब टैक्सपेयर्स की संख्या 65 लाख थी, जो अब बढ़कर 1.24 करोड़ पर आ गई है।

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2017 में लागू हुआ था जीएसटी
जीएसटी में 17 स्थानीय शुल्कों को समाहित किया गया है। जीएसटी 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ थाा। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली उस समय वित्त मंत्री थे। मंत्रालय की ओर किए ट्वीट के अनुसार आज हम अरुण जेटली को याद कर रहे हैं। जीएसटी के क्रियान्वयन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इतिहास में इसे भारतीय कराधान का सबसे बुनियादी ऐतिहासिक सुधार गिना जाएगा।

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