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बढ़ा टैक्सपेयर्स का आधार
वित्त मंत्रालय की ओर ट्वीट के अनुसार देश में सभी को समझ में आ गया है कि जीएसटी कंज्यूमर और टैक्सपेयर्स दोनों के लिए फायदेमंद है। जीएसटी लागू होने से पहले लोगों को टैक्स की बढ़ी हुई दरों के कारण लोगों को काफी परेशानी होती थी। जीएसटी लागू होने के कारण दरें कम हुई हैं और टैक्स देने की प्रथा में तेजी देखने को मिली है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जिस समय जीएसटी लागू हुआ था तब टैक्सपेयर्स की संख्या 65 लाख थी, जो अब बढ़कर 1.24 करोड़ पर आ गई है।
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40 लाख पर मिलती है छूट
फाइनेंस मिनिस्ट्री के अनुसार जीएसटी की वजह से भारी दरें अब काफी कम हो गई हैं। आरएनआर समिति की माने तो राजस्व तटस्थ दर 15.3 फीसदी है। इसके अलावा रिजर्व बैंक का जीएसटी की भारित दर सिर्फ 11.6 फीसदी है। ट्वीट के अनुसार 40 लाख रुपए तक के कारोबार करने वाली कंपनियों को जीएसटी की छूट दी जाती है, जिस शुरुआती दौर में 20 लाख रुपए रखा गया था। वहीं डेढ़ करोड़ रुपए तक के कारोबार वाली कंपनियां कंपोजिशन योजना का ऑप्शन ऑप्ट कर सकती है, जिन्हें एक फीसदी कर देना होता है।
2017 में लागू हुआ था जीएसटी
जीएसटी में 17 स्थानीय शुल्कों को समाहित किया गया है। जीएसटी 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ थाा। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली उस समय वित्त मंत्री थे। मंत्रालय की ओर किए ट्वीट के अनुसार आज हम अरुण जेटली को याद कर रहे हैं। जीएसटी के क्रियान्वयन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इतिहास में इसे भारतीय कराधान का सबसे बुनियादी ऐतिहासिक सुधार गिना जाएगा।