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लॉकडाउन के चलते देशभर के स्कूल्स बंद है। स्कूल ऑनलाइन क्लासेज से बच्चों की पढ़ाई करवा रहे हैं। ई-लर्निंग में अभी चैलेंज आ रहे हैं। वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि असली चैलेंज तो स्कूल री-ओपन होने के बाद आएंगे। देश-विदेश के साइंटिस्ट की थ्योरी को मानें तो कोरोना का असर एक-दो वर्ष तक रहने वाला है।
ऐसे में स्कूलों की जिम्मेदारी दोगुनी हो जाती है। कोरोना को हराने में स्कूल्स बडी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार एमएचआरडी स्कूलों को खोलने संबंधी गाइडलाइन तैयार कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि लाइब्रेरी, हॉस्टल, कैंटीन, सेमिनार, असेम्बली, इंटरस्कूल कॉम्पीटिशन, स्कूल बस में सीटिंग पॉजिशन आदि में बड़े बदलाव आना तय है। ऐसे में विभिन्न स्कूलों ने अपने अपने स्तर पर भविष्य की प्लानिंग शुरु कर दी है।
स्कूल आने जाने के टाइम में होगा गैप
कैंब्रिज कोर्ट स्कूल की मेंटोर लता रावत का कहना है कि प्रजेंट सिचुएशन को देखते हुए लगता है कि स्कूल खुलने में और देरी संभव है। लॉकडाउन खुलने के बाद स्कूलों के सामने सबसे बड़ा चैलेंज आने वाला है। हर रोज हजारों बच्चे इकट्ठा होंगे, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखना है। अगर स्कूल अगस्त तक खुलते हैं तो हम आठवीं तक के सिलेबस को रिवाइज कर कम जरूरी कंटेंट को हटाएंगे। लॉकडाउन ने एजुकेशन और लर्निंग को एक नई दिशा दी है। हर क्लासेज के अकॉर्डिंग स्कूल आने और जाने के टाइम में गैप होगा, जिससे एक साथ भीड़ एकट्ठा नहीं हो सके।
सेनेटाइज होंगी क्लासेज
सुबोध स्कूल के टीचर संजय पाराशर का कहना है कि बच्चों की सेफ्टी ही प्रायोरिटी रहेगी। गवर्नमेंट की गाइडलाइन का पूरा ध्यान रखा जाएगा। स्कूल भी अपने स्तर पर सेफ्टी मेजर्स फॉलो करेगा। मेरा मानना है कि मॉर्निंग असेम्बली पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। हम क्लासेज को समय-समय पर सेनेटाइज कराएंगे। बच्चों और टीचर्स की स्क्रीनिंग भी की जाएगी। पैरेंट्स की भी काउंसलिंग करेंगे कि बच्चे का टिफिन घर से ही बनाकर भेजें, जिससे कैंटीन पर निर्भरता नहीं रहे।
Published on:
04 May 2020 09:31 am
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