बोर्ड परीक्षा में कॉपी जांचने वाले शिक्षक (Board Exam Copy Checking Teachers) स्कूल शिक्षक होते हैं और पढ़ाते भी हैं। परीक्षा खत्म होने के बाद इनकी ड्यूटी कॉपी जांचने में लगाई जाती है और स्कूल के आम कामों के साथ ही ऐसे शिक्षक कॉपी जांचते हैं। जिस समय पर स्कूल की छुट्टियां होती हैं, उसी समय पर बोर्ड की परीक्षाएं होती हैं। ऐसे में स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी फ्री रहते हैं और इनमें से कई अनुभवी शिक्षक केंद्र पर जाकर कॉपी जांचने का काम करते हैं।
क्या Loksabha Election 2024 के कारण स्थगित होंगी ये बड़ी परीक्षाएं?
कॉपी जांचने के लिए अनुभवी और योग्य टीचर चुने जाते हैं। ऐसे तो सभी बोर्ड्स के नियम अलग होत हैं लेकिन पीजीटी, टीजीटी लेवल के शिक्षक ही चुने जाते हैं। पहले यूपी बोर्ड (UP Board Exams 2024) में दो साल से कम अनुभव वाले टीचर कॉपी जांचने का काम नहीं करते थे। हालांकि, अब इस नियम में बदलाव आया है। शिक्षकों को बोर्ड द्वारा तय केंद्रों पर जाकर कॉपी जांचने का काम करना होता है, जिसके लिए भुगतान भी किया जाता है।
भारतीय सेना में वैकेंसी, जानिए कैसे करें अप्लाई
क्या कभी आपने सोचा है कि उत्तर पुस्तिका पर आपका रोल नंबर और परीक्षा कोड क्यों लिखाया जाता है? दरअसल, ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि छात्रों की पहचान न जाहिर हो और कॉपी चेकिंग का सिस्टम पारदर्शी (Transparency In Board Exam) रहे। कॉपी जांचने समय जिस पन्ने पर रोल नंबर आदि रहता है उसे हटाकर शिक्षकों को दिया जाता है। इसके बदले उन्हें सीक्रेट कोड दिया जाता है, जिससे शिक्षक नहीं जान पाते हैं कि वो किनकी कॉपी चेक कर रहे हैं। आमतौर पर शिक्षकों को उनके स्कूल के छात्रों की कॉपियां नहीं दी जाती हैं।सीबीएसई (CBSE Board) और अन्य बोर्ड्स में पहले एक स्पेसिमेन कॉपी दी जाती है, जिसे तीन टीचर चेक करते हैं और मार्क्स देते हैं। इसके बाद हेड एग्जामिनर तीनों शिक्षकों की कॉपी देखकर तय करता है कि मार्क्स किस प्रकार देना है। इस तरह एक आम गाइडलाइन बनकर तैयार हो जाती है और इसी अनुसार कॉपी जांची जाती है। अधिकांश बोर्ड में लीनिएंट मार्किंग (CBSE Marking Scheme) करने का आदेश दिया जाता है।