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उर्दू अध्यापक बनने के लिए बीटीसी, टीईटी पास होना अनिवार्य

उर्दू मोअल्लिम के अलावा समकक्ष डिग्री को राज्य में अयोग्य घोषित किया गया है।

Sep 23, 2017 / 08:14 pm

जमील खान

Uttarakhand HC

Uttarakhand High Court

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उर्दू अध्यापक बनने के लिए उर्दू मोअल्लिम को शुक्रवार को अयोग्य घोषित करते हुए कहा कि समकक्ष परीक्षा के साथ ही उर्दू में बीटीसी के बिना प्राथमिक सहायक अध्यापक (Urdu) नहीं बन सकते हैं। सहायक अध्यापक बनने के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना भी अनिवार्य है। मुख्य न्यायाधीश के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ सरकार की अपील की सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया।
खंडपीठ ने सरकार की दलील को सही मानते हुए इस संबंध में न्यायालय की एकल पीठ के पूर्व के आदेश को भी खारिज कर दिया। ऊधमसिंहनगर के मोहम्मद हाफिज और अन्य ने न्यायालय में एक याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने उर्दू सहायक अध्यापक पद पर उनके आवेदन को निरस्त कर दिया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से न्यायालय को बताया गया कि वे उर्दू में मोअल्लिम पास हैं, जो बीटीसी के समकक्ष है। उप्र में भी सहायक अध्यापक (उर्दू) बनने के लिए यह मान्य है।
न्यायालय की एकल पीठ ने याचिकाकर्ताओं की दलील को स्वीकार करते हुए सरकार को उन्हें भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश पारित कर दिया था एकल पीठ के इस आदेश के खिलाफ सरकार द्वारा युगल पीठ में अपील दायर की गई। सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि नियमावली के अनुसार सहायक अध्यापक (उर्दू) के लिए समकक्ष परीक्षा के अलावा दो वर्षीय बीटीसी डिप्लोमा के साथ टीईटी पास होना अनिवार्य है। उर्दू मोअल्लिम के अलावा समकक्ष डिग्री को राज्य में अयोग्य घोषित किया गया है। ऐसे में आवेदक भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने योग्य नहीं हैं।
उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय को लेकर भ्रम न पालें छात्र : नाईक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि लोगों को भ्रम है कि ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय में केवल उर्दू, अरबी-फारसी का ज्ञान दिया जाता है, जबकि यहां सभी प्रकार के विषय पढ़ाए जाते हैं। विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में शनिवार को मौजूद राज्यपाल ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को पदक एवं उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया। राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि दीक्षांत समारोह छात्र जीवन का ऐसा क्षण है जहां एक तरफ किताबी पढ़ाई पूरी होती है, तो दूसरी ओर जीवन की नई पढ़ाई यानी भविष्य में क्या करना चाहते हैं, इसके लिए परिश्रम प्रारंभ करना होता है।
उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय धीरे-धीरे प्रगति कर रहा है। इस वर्ष 204 लोगों को उपाधि दी गई है, जिसमें 142 छात्र और 62 छात्राएं है। उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 25 स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में 17 छात्र हैं और आठ छात्राएं हैं। अन्य विश्वविद्यालयों में छात्राएं 65 प्रतिशत तक पदक प्राप्त कर रही हैं। यहां की छात्राओं को विशेष प्रयास करने होंगे।
मुख्य अतिथि प्रो. फुरकान कमर ने कहा, वैश्वीकरण के युग में पूरे विश्व को भारत से बहुत अपेक्षाएं हैं। ऐसे में शिक्षा ग्रहण कर चुके युवाओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। देश के सामने अनेक मूलभूत चुनौतियां हैं, जैसे बढ़ती हुई आबादी, खाद्यान्न सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक शांति बनाए रखना।

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