डेडलाइन का महत्व उसे ही पता होता है, जिसे अपना लक्ष्य स्पष्ट रूप से पता होता है। एंप्लॉइज को डेडलाइन के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए उनसे उनके लक्ष्य पूछें। यदि उनकी बातों में स्पष्टता है तो इसका अर्थ है कि उन्हें उनकी जिम्मेदारियां पूरी तरह से पता हैं। उलझाव देखने पर आप उलझन दूर करें। इससे उनके दिमाग में लक्ष्य की तस्वीर साफ होगी और वे काम शुरू कर सकेंगे। टीम के लक्ष्यों के प्रति मेंबर्स को जानकारी देने क ी जिम्मेदारी लीडर पर होती है।
ग्रुप में काम करने के फायदे हैं तो नुकसान भी हैं। बहुत से लोग यह मानने लग जाते हैं कि बाकी लोग तो लगे ही हुए हैं, मेरे प्रयास से ज्यादा फर्क नहीं पडऩे वाला। इसलिए लोगों को मिली जिम्मेदारियों को पूरा ब्योरा रखने के साथ-साथ यह जानकारी भी रखें कि किस व्यक्ति ने क्या-क्या काम किया। इससे लोगों को जिम्मेदारी का अहसास होगा।
काम के दौरान समस्याएं आना लाज़मी है लेकिन इसका अर्थ है कि इन्हें सुलझाया जाना चाहिए न कि डेडलाइन छूट जाने के बहाने के रूप में पेश किया जाना चाहिए। ऐसा सिस्टम बनाएं कि काम में किसी भी किस्म की परेशानी आने पर तुरंत उससे जुड़े विभाग को सूचित किया जाए। यदि लोग समय रहते परेशानी के बारे में सूचना न दें तो उसका जिम्मेदार उन्हें ही ठहराया जाना चाहिए। यदि कोई बार-बार ऐसा कर रहा हो तो कार्रवाई की जा सकती है।
डेडलाइन दिए जाने का अर्थ यह नहीं कि कोई व्यक्ति उससे ठीक एक रात पहले ही काम निपटाने बैठे। इस वजह से काम के बिगडऩे के चांसेज रहते हैं। ऐसी स्थितियों से बचने के लिए बीच-बीच में प्रोगे्रस रिपोर्ट मांगते रहें। इससे एंप्लॉइज को अहसास रहेगा कि उनके काम की गति पर भी बॉस की नजर है और वह काम टालेगा नहीं।
कुछ एंप्लॉइज की आदत हर काम को अंत समय पर करने की होती है तो कुछ ऐसे भी होते हैं, जो काम मिलते ही मेहनत करना शुरू कर देते हैं। डेडलाइन्स का अपनी मर्जी से पालन करने वाले ऐसे एंप्लॉइज को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और इन्हें दूसरे एंप्लॉइज के लिए मिसाल के रूप में पेश किया जाना चाहिए। हालांकि क्वालिटी चेक भी होते रहना चाहिए। डेडलाइन के पालन के चक्कर में गुणवत्ता से समझौता न होने दें। इस तरह का प्रभावी सिस्टम आज के लिए जरूरी है।