भारत के शिक्षा तंत्र में दिव्यांग बच्चों की स्थिति और इसमें सुधार के लिए यूनेस्को ने दस प्रमुख सिफारिशें की हैं। इसमें आरटीई में संशोधन करने के अलावा ऐसे बच्चों की शिक्षा के लिए चल रहे सभी कार्यक्रमों के बेहतर तालमेल की व्यवस्था करने को भी जरूरी बताया गया है। इस काम के लिए मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय में विशेष व्यवस्था किए जाने की इसमें सिफारिश की गई है। इसी तरह दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए बजट में अलग से और पर्याप्त प्रावधान किया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बच्चों की अधिकतम शिक्षा के लिए आईटी के उपयोग को बढ़ावा देना जरूरी होगा।
यूनेस्को के लिए यह रिपोर्ट टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने तैयार की है। दिव्यांग बच्चों के शिक्षा के अधिकार के संबंध में उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डालने वाली भारत में यह इस तरह की पहली रिपोर्ट है। इसे ‘2019 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया: चिल्ड्रन्स विद डिसेबिलिटी’ नाम दिया गया है।
यूनेस्को भारत के निदेशक एरिक फाल्ट ने इस बारे में कहा ‘’दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए भारत में पहले ही बहुत कुछ किया जा चुका है। लेकिन इस रिपोर्ट के साथ हम कई और ठोस कदम उठाने का सुझाव दे रहे हैं। इससे लगभग 80 लाख भारतीय दिव्यांग बच्चों को शिक्षा में उनकी हिस्सेदारी मिल सकेगी।’
वर्तमान में, 5 वर्ष की आयु के दिव्यांग बच्चों में से तीन-चौथाई और 5-19 वर्ष के बीच एक-चौथाई बच्चे किसी भी शैक्षणिक संस्थान में नहीं जाते हैं। स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों की संख्या ऊपर की कक्षाओं में और कम होता जाता है। स्कूलों में दिव्यांग लड़कों की तुलना में स्कूलों में दिव्यांग लड़कियों की संख्या और भी कम है।
हालांकि रिपोर्ट यह भी मानती है कि समावेशी शिक्षा लागू करना कठिन काम है। साथ ही स्कूलों में दिव्यांग बच्चों की नामांकन दर में सुधार किया है।
प्रभावी उपाय भी गिनाए
रिपोर्ट में अच्छे कार्य के एक उदाहरण के रूप में पूर्वोत्तर भारत के एक प्रयोग की सराहना भी की गई है। इस ऑनलाइन ओपन सोर्स शैक्षणिक संसाधन में बधिर समुदाय की ओर से उपयोग की जाने वाली सांकेतिक भाषाओं के प्रकारों के बारे में जानकारी शामिल है। क्षेत्र में काम करने वाली सांकेतिक भाषाओं को ‘एनईएसएल साइन बैंक’ नामक वेब-आधारित ऐप में संकलित किया गया है। वर्तमान में इसमें 3000 शब्दों के डेटा शामिल हैं।
विशेषज्ञों के प्रमुख सुझाव
– शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) में संशोधन करना
– मानव संसाधन विकास मंत्रालय में एक समन्वय तंत्र स्थापित करना
– बजट में अलग से और पर्याप्त वित्तीय आवंटन सुनिश्चित करना
– इनकी शिक्षा में आईटी के उपयोग को बढ़ावा देना
– सरकार, निजी क्षेत्र व स्थानीय समुदायों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करना