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फैजाबाद

संत ने दी आत्मदाह की धमकी तो अयोध्या में रुकी नमाज, कार्यक्रम में पहुंचे योगी सरकार के मंत्री

संत के आत्मदाह की चेतावनी के बाद अयोध्या में एक साथ 1500 मुसलमानों के सामूहिक नमाज अदा करने का कार्यक्रम रद्द हो गया है।

फैजाबादJul 13, 2018 / 12:28 am

Hariom Dwivedi

muslim rashtriya manch

संत ने दी आत्मदाह की धमकी तो अयोध्या में रुकी नमाज, कार्यक्रम में पहुंचे योगी सरकार के मंत्री

अयोध्या. हनुमानगढ़ी के संत राजू दास की चेतावनी के बाद अयोध्या में एक साथ 1500 मुसलमानों के सामूहिक नमाज अदा करने का कार्यक्रम रद्द हो गया है। सरयू नदी के तट पर सामूहिक रूप से कुरान की आयतों का पाठ और कुरानख्वानी कार्यक्रम पर फैजाबाद जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है। मौके पर फोर्स लगा दिया गया और लोगों को सरयू तक जाने से रोका जाने लगा, बावजूद इसके तीन महिलाओं ने सरयू नदी के जल से वजू किया। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के आह्वान पर ये कार्यक्रम हो रहा था। तय कार्यक्रम के मुताबिक, गुरुवार को एक साथ करीब 1500 मुसलमानों को सरयू के जल से वजू बनाकर नदी के किनारे नमाज अदा करने और कुरान ख्वानी के जरिए देश में अमन चैन का संदेश देना था।
कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग धार्मिक नगरी अयोध्या पहुंच गए थे, लेकिन हनुमानगढ़ी के साधु राजू दास द्वारा इस पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग और ऐसा न करने पर आत्महत्या कर लेने की धमकी के बाद राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक संत मुरारी दास उर्फ महीरध्वज ने जिला प्रशासन के अनुरोध पर यह कार्यक्रम स्थगित करते हुए सरयू घाट न जाकर नौगजी मजार पर जियारत करने का कार्यक्रम तय किया।
सरयू तट पर पुलिस फोर्स तैनात
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर पूर्व में भी मुस्लिम समुदाय के लोगों को एकजुट करने की कोशिश कर चुका है। इसी कड़ी में यह कार्यक्रम भी प्रस्तावित था, लेकिन इसको लेकर सियासत तेज हो गई। राम मंदिर निर्माण के मामले पर अपना अपना अधिकार बताने वाले कई संगठन के लोगों ने भी इस कार्यक्रम पर एतराज जताया। इसके बाद जिला प्रशासन ने इस कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाते हुए भारी मात्रा में पुलिस बल सरयू तट पर तैनात कर दिया।
बोले- कार्यक्रम आयोजक
कार्यक्रम आयोजक संत मुरारी दास उर्फ़ महीरध्वज ने कहा कि वह मुस्लिम भाइयों के साथ लगातार प्रयास कर रहे हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो जाये। सामाजिक समरसता और आपसी प्रेम भाव बढ़ाने वाले इस कार्यक्रम को लेकर वह अयोध्या आए थे। कहा कि हमारा उद्देश्य किसी को कोई कष्ट पहुंचाना नहीं था। लेकिन हमारे कारण कोई अपनी जान दे, ऐसा हमें स्वीकार नहीं है। लेकिन ऐसे लोग राम विरोधी हैं। वो सिर्फ मीडिया में सुर्खियां पाना चाहते हैं और सपा-कांग्रेस के एजेंट हैं। उन्होंने कहा कि देश में अमन-चैन और शांति बनी रहे, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मार्ग में आ रही बाधाएं दूर हों, इसके लिये नौगजी मजार पर जाकर मुस्लिम भाइयों ने नमाज अदा की।
गरमाई रामनगरी की सियासत
सरयू तट पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के तत्वाधान में यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा था। इस कार्यक्रम में यूपी सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी को भी शामिल होना था, लेकिन कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही विवादों में आ गया। मामले पर सियासत तेज हुई तो मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के इस कार्यक्रम से आरएसएस ने खुद को अलग कर लिया। वहीं, सपा ने इसे आरएसएस और बीजेपी का प्रोपेगंडा बताया तो विहिप के पूर्व नेता प्रवीण तोगड़िया ने भी कड़ी आपत्ति जताई।
इन्होंने किया विरोध
आयोजन पर विश्व हिंदू परिषद के पूर्व नेता व अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद का गठन करने वाले प्रवीण तोगड़िया ने निशाना साधते हुए कहा था कि राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ऐसा कर के अयोध्या में मस्जिद निर्माण की नींव डाल रहा है। लेकिन वह अयोध्या में ऐसी किसी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इससे पहले लखनऊ में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्वे जव्वाद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से खासे नाराज नजर आये थे। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ नाम का कोई मोर्चा बनाया है, जिसमें कुछ बेईमान लोग शामिल हो गये हैं। यही बेईमान लोग मुसलमानों को करीब करने के बजाय भाजपा से दूर कर रहे हैं।
कौन है मुस्लिम राष्ट्रीय मंच
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का गठन वर्ष 2002 में हुआ था। इसके राष्ट्रीय संयोजक मुहम्मद अफजल, सह संयोजक संत मुरारी दास उर्फ महीरध्वज और मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार हैं। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच को आरएसएस का सहयोगी संगठन बताया जाता रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस मंच ने नरेंद्र मोदी के लिए अभियान चलाया था। इस संगठन का दावा है कि वह मुसलमानों को संघ के करीब लाने का काम कर रहा है। 16 साल पहले संघ के तत्कालीन प्रमुख केएस सुदर्शन की मदद से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को स्थापित किया गया था। औपचारिक रूप से आरएसएस इस संगठन को अब भी नहीं अपनाता है, लेकिन इस पर आरएसएस की नजर जरूर रहती है।

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