ये भी पढ़ें- रावण ने मंदसौर की लड़की को किया था पसंद, आज भी लोग मानते हैं दामाद! अष्टमी को मां दुर्गा की 8वीं शक्ति महागौरी की पूजा की जाती है तो नवमी को सिद्धिदात्री की पूजा होती है। नवमी के दिन मां मां सिद्धिदात्री की पूजा के साथ ही ‘चंडी होमम हवन’ भी किया जाता है। ‘चंडी होमम हवन’ कन्या पूजन के बाद किया जाता है।
क्यों किया जाता है ‘चंडी होमम हवन’ मान्यताओं के अनुसार, कन्या पूजन के बाद ‘चंडी होमम हवन’ कराने से घर में सुख, शांति आती है। ‘चंडी होमम हवन’ मां दुर्गा को खुश करने के लिए किया जाता है। इसे नवमी होम, चंडी होम या चंडी होमम भी कहा जाता है।
कैसे करें हवन सबसे पहले हवन कुंड को साफ करें। उसके बाद हवन कुंड को गाय के गोबर से लीप दें। इसके बाद वेदी के बीच में से दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर ले जाते हुए तीन रेखाएं खींचें।
अब अनामिका अंगूसी से या अंगूठे की मदद से हवन कुंड से कुछ मिट्टी बाहर फेंक दें। इसके बाद हवन कुंड को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। ये सब करने के बाद हवन कुंड में लकड़ी रखें और अग्नि प्रज्वलित करें। इसके बाद घी की आहुति देने के साथ ही इन मंत्रों का जप करें…
ऊँ प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये न मम्। ऊँ इन्द्राय स्वाहा। इदं इन्द्राय न मम्। ऊँ अग्नये स्वाहा। इदं अग्नये न मम्। ऊँ सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय न मम्। ऊँ भूः स्वाहा। इदं अग्नेय न मम्।
ऊँ भुवः स्वाहा। इदं वायवे न मम्। ऊँ स्वः स्वाहा। इदं सूर्याय न मम्। ऊँ ब्रह्मणे स्वाहा। इदं ब्रह्मणे न मम्। ऊँ विष्णवे स्वाहा। इदं विष्णवे न मम्। ऊँ श्रियै स्वाहा। इदं श्रियै न मम्।
ऊँ षोडश मातृभ्यो स्वाहा। इदं मातृभ्यः न मम॥