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पीएनबी से पूछा-किसने दी नीरव मोदी को लोन की मंजूरी तो मिला ये जवाब

पीएनबी ने हजारों करोड़ रुपए का घोटाला कर फरार हीरा व्यवसायी नीरव मोदी के बारे में 'सूचना का अधिकार' अधिनियम के अंतर्गत कुछ भी बताने से मना कर दिया है।

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Nirav Modi

PNB, Nirav Modi

मुंबई। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने हजारों करोड़ रुपए का घोटाला कर फरार हीरा व्यवसायी नीरव मोदी के बारे में 'सूचना का अधिकार' अधिनियम के अंतर्गत कुछ भी बताने से मना कर दिया है। यह जानकारी एक आरटीआई कार्यकर्ता ने मंगलवार को दी। कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि उन्होंने आरटीआई के माध्यम से पीएनबी से उसके द्वारा नीरव मोदी को जारी किया गया कुल ऋण, उसे ऋण मंजूर करने की प्रक्रिया तथा ऋण मंजूरी के लिए निदेशक मंडल के फैसले की जानकारी मांगी थी। गलगली ने कहा कि उन्होंने आरटीआई के अंतर्गत दिए गए ऋण की मात्रा जानने, बोर्ड की बैठकों का मसौदा, प्रस्ताव, मंजूरी और ऋण मंजूर करने के समय मीटिंग की जानकारी मांगी थी।

पीएनबी ने खारिज की याचिका

हालांकि, पीएनबी के उप महानिदेशक और सीपीआरओ जॉय रॉय ने जबाव में कहा कि यह मामला आरटीआई अधिनियम के भाग 8(1)(एच) के अंर्तगत नहीं आता है। जिसके अंतर्गत यह जानकारी जांच प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकती है। इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है। अब गलगली ने आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत पहली याचिका दायर की है और प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।

लोन को मंजूर करने वाले अफसरों को भी मिले सजा: गलगली

गलगली ने कहा कि दोषी अपराधियों का खुलासा होना महत्वपूर्ण है और इसके लिए पीएनबी के निदेशक मंडल की बैठकों का विवरण पता होना चाहिए। इसके लिए बैठक का कार्यक्रम, बैठक में ऋण मंजूरी पर लिए गए निर्णय, और बैठक के विवरण से दोषी अधिकारियों का पता लगाने में सहायता मिलेगी। गलगली ने कहा कि घोटाले में दोषी अधिकारी भी नीरव मोदी जितने ही अपराधी हैं। एक बार ये जानकारियां सार्वजनिक हो जाएं और दोषी अधिकारियों को दंड मिल जाए तो बैंक प्रशासन ईमानदारी से काम करेगा और ऋण मंजूर करने के समय सही मानकों की जांच-परख करेगा।

नीरव मोदी पर 13,500 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप

नीरव मोदी, उसकी सहयोगी कंपनियां और अन्य लोग 13,500 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले में आरोपी हैं। पीएनबी की ओर से फरवरी में इसका खुलासा करने के बाद देश के बैंक तंत्र में खलबली मच गई थी।