जानकारी के मुताबिक कोरोना (Corona virus ) काल में
नंदग्राम निवासी 50 वर्षीय
आशीष दत्ता का हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। आशीष दत्ता का कोई बेटा नहीं है। केवल दो बेटी हैं उनकी मौत के बाद गांव में लोग चर्चा करने लगे कि आखिर अब इन्हें कंधा कौन देगा और कौन अंतिम संस्कार करेगा। इस बात की चर्चा हो ही रही थी कि तभी आशीष दत्ता की बड़ी बेटी ने अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी और वह सब रस्म अदा की जो पिता की मौत के बाद बेटे करते हैं। यह अग बात है कि इस दौरान दौरान कुछ बुजुर्गों ने सवाल भी खड़े किए लेकिन बेटियों ने कर दिया कि वे किसी की नहीं सुनेंगी और अपने पिता का अंतिम संस्कार खुद करेंगी। आशीष दत्ता की दोनों बेटियों ने कहा कि उनके पिता ने कभी भी बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं समझा और अब यह उनका सौभाग्य है कि वह बेटी होने के बाद भी बेटे की रस्म अदा कर रही हैं। वह ऐसे किसी भी पुराने नियम को नहीं मानेगी जिसमें बेटी और बेटे में फर्क समझा जाता है। बहराल आशीष दत्ता की बेटीयों ने सभी रस्म निभा कर अपने पिता को मुखाग्नि दी। बताया जा रहा है कि गांव में इस तरह का पहला मामला सामने आया है। जिसमें इन बेटियों ने एक नई मिसाल पेश की है।