सीएमएस डॉ. मनोज कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि जिला एमएमजी अस्पताल में रोजाना करीब दो हजार मरीज आते हैं। इनमें से तमाम मरीज का अल्ट्रासाउंड, खून की जांच और एक्स-रे होता है और कुछ मरीजों का ओपीडी में ही जांच कर उपचार किया जाता है। इनमें से कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें एमआरआई कराने की आवश्यकता पड़ती है। अस्पताल में एमआरआई की सुविधा नहीं होने के कारण मरीज को बाहर की लैब में हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्होंने शासन को इसका प्रस्ताव भेजा था, जिसकी स्वीकृति शासन से मिल गई है। अगले 10 दिन के अंदर ही एमआरआई मशीन मिलने की संभावना है।
यह भी पढ़ें-
कमाल है पेट्रोल पंप पर छह चीजें मिलती हैं बिल्कुल फ्री, जानें विभिन्न योजनाओं पर चल रहा काम उन्होंने बताया कि अस्पताल में आने वाले मरीजों को सुगम और उचित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें, इसके लिए कई तरह की योजनाओं पर कार्य शुरू कर दिया गया है। अस्पताल में टेलीमेडिसिन अब स्थापित करने के लिए दूरसंचार विभाग की टीम भी दौरा कर चुकी है। जिसके तहत इंटरनेट नेटवर्क के लिए 45 स्थानों को चिन्हित किया गया है। इंटरनेट नेटवर्क को मजबूत करने के लिए इन स्थानों के अलावा पैथोलॉजी लैब ओपीडी का एक्स-रे इमरजेंसी अल्ट्रासाउंड और सीएमएस कार्यालय को भी जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि एक हब के लिए तीन कम्प्यूटर, तीन चिकित्सक और अन्य स्टाफ का इंतजाम होगा। इंटरनेट का खर्च अलग से मिलेगा।
यह भी पढ़ें-
कोविड ट्रीटमेंट पर टैक्स छूट मगर दवाओं का खर्च हो गया महंगा, निवेश पर भी कटौती शरीर की तमाम बीमारियों का चल जाता है पता सीएमएस ने बताया कि एमआरआई में शरीर के अंदर की विस्तृत छवियों का उत्पादन करने के लिए मजबूत चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग होता है। मरीज को इस मशीन के अंदर ले जाने के बाद शरीर की तमाम तरह की बीमारियों के बारे में और उनके लक्षण के बारे में जानकारी हो जाती है। उसके बाद मरीज का उपचार भी सही समय पर उचित दवाओं के माध्यम से किया जा सकता है।