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बचपन में छूटा पिता का हाथ, 20 साल बाद फिर मिला साथ तो छलक पड़े आंसू

सामाजिक संस्था और प्रशासन के संयुक्त प्रयास से मानसिक विक्षिप्त मजदूरों को मुक्त कराकर उनके परिवार से मिलाने के कार्य के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। अब तक एक सैकड़ा से ज्यादा मानसिक विक्षिप्त अपने घर पहुंच चुके हैं…

गुनाJan 16, 2024 / 03:33 pm

Sanjana Kumar

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सामाजिक संस्था और प्रशासन के संयुक्त प्रयास से मानसिक विक्षिप्त मजदूरों को मुक्त कराकर उनके परिवार से मिलाने के कार्य के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। अब तक एक सैकड़ा से ज्यादा मानसिक विक्षिप्त अपने घर पहुंच चुके हैं। इसी क्रम में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें बेटे अपने पिता का चेहरा तक भूल गए थे। 20 साल बाद जब पिता उनके सामने वह आए तो बेटे पहचान तक नहीं पाए। काफी देर बातचीत करने के बाद ही बच्चों ने अपने पिता को पहचाना और घर लेकर गए।

जानकारी के मुताबिक 11 जनवरी को एक पुख्ता सूचना पर श्रम विभाग के प्रभारी आशीष तिवारी, श्रम अधिकारी राम कुमार चौहदा, श्रम निरीक्षक लालमणि सिंह, मयंक शर्मा, मधुसूदनगढ़ पुलिस के साथ ग्राम मंथ पहुंचे। यहां राम सिंह सौंधिया के घर पर काम कर रहे लक्ष्मीनारायण अहिरवार निवासी बड़ा मल्हेरा तहसील हटा जिला छतरपुर को विमुक्त कराया गया। मानसिक विक्षिप्त मजदूर को सबसे पहले वरदान समिति के सदस्य प्रमोद भार्गव अपने कार्यालय पर लेकर पहुंचे। उनसे परिवार के बारे में पूरी जानकारी एकत्रित की। साथ ही जिला अस्पताल ले जाकर उनका मेडिकल परीक्षण कराया। जहां मनोरोग चिकित्सक डॉ. राजेंद्र सिंह भाटी ने लक्ष्मीनारायण का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इसके बाद लक्ष्मीनारायण अहिरवार को शिवपुरी स्थित अपना घर आश्रम में भर्ती करा दिया गया। समिति के प्रयास सफल हुए और लगभग 20 सालों से अपने पिता को ढूंढ़ रहे लक्ष्मीनारायण के बेटों से सम्पर्क हो गया। लक्ष्मीनारायण के दो बेटे शिवपुरी स्थित वृद्ध आश्रम पहुंचे। जहां वे अपने पिता को देखकर पहचान ही नहीं सके। समिति के सदस्यों ने वीडियो कॉल पर लक्ष्मीनारायण की बात उनके साले व भाई से कराई।

इस दौरान जानकारी सामने आई कि लक्ष्मीनारायण 4 बेटियों और 2 बेटों के पिता हैं। उन्हें उनके बेटे के अलावा बहू भी लेने आई थी। बताया जा रहा है कि लक्ष्मीनारायण अपने घर से बिना बताए आ गए थे। इसके बाद उनका परिवार भी कुछ समय बाद लुधियाना चला गया और पिता को खोजने में असफल रहा था। लेकिन गुना जिला प्रशासन और समिति के प्रयासों से अहिरवार परिवार को उनके पिता 20 साल बाद मिल गए। इसके लिए परिवारजनों ने जिला प्रशासन और वरदान सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरण समिति को धन्यवाद दिया।

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