रविवार को कोर्ट परिसर में चालकों के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और ट्रैफिक पुलिस द्वारा विशेष साक्षरता शिविर रखा था। इसमें जिला न्यायधीश आरके कोष्ठा ने कहा, न्यायालयों का काम सरकार का खजाना भरना नहीं बल्कि आम जन की सुरक्षा के लिए कानूनों का पालन सुनिश्चित कराना है। जिससे समाज में व्यवस्था कायम रहे और बड़ी हानि से लोगों को बचाया जा सके।
उन्होंने कहा, यदि ऑटो चालक न्यायालयों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे तो अनावश्यक चालानी कार्रवाई से बचेंगे। सीजेएम हर्षसिंह बहरावत ने हाईकोर्ट के निर्देशों के बारे में जानकारी दी।
प्राधिकरण के सचिव एके मिश्र ने भी विभिन्न जानकारी दीं। संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी दीपक शर्मा ने किया और आभार ट्रैफिक पुलिस प्रभारी दीपक साहू ने व्यक्क्त किया। इस दौरान आटो यूनियनों के सदस्य उपस्थित रहे।
इन निर्देशों का पालन करना जरूरी
: स्कूली वाहन पीले रंग से पुता और बीच में नीली पट्टी पर स्कूल का नाम अंकित होना चाहिए।
: वाहन स्कूल द्वारा चलाया जा रहा है तो स्कूल वाहन और दूसरा है तो ऑन स्कूल ड्यूटी की पट्टिकालगी होनी चाहिए।
: ऑटो में 12 वर्ष से अधिक आयु के तीन बच्चे, 12 वर्ष के कम आयु के 5 बच्चे सवार कर सकेंगे।
: ऑटो में जालियां, बसों की खिड़कियों में ग्रिल लग होगी। स्कूली वाहन में ताले युक्त गेट होने चाहिए, बसों में ड्रायवर के साथ एक अटेंडर भी होना चाहिए।
: बच्चों के बैग रखने की व्यवस्था हो एवं न्यायालय के निर्देशों का पालन हो।