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प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर में घमासन, अस्तित्व का डर बड़ी वजह

Citizenship Amendment Bill: पूर्वोत्तर (Northeast India News) के संगठनों को लगता है कि इससे (Assam Accord 1985) विदेशी (Assam Samjhauta) लोगों को यहां बसाया जाएगा और इससे उनके अस्तित्व को खतरा उत्पन्न होगा…

गुवाहाटीNov 20, 2019 / 08:27 pm

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Citizenship Amendment Bill

गुवाहाटी की कॉटन विश्वविद्यालय के बाहर विरोध जाहिर करते छात्र

(गुवाहाटी,राजीव कुमार): प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को लेकर पूर्वोत्तर में बवाल मचा है। केंद्र सरकार इस बार संसद के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को लाने की तैयारी में है। सोमवार को सत्र की शुरुआत के साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों में रुक-रुक कर प्रदर्शन हो रहे हैं।

 

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नागालैंड और मणिपुर में इसके खिलाफ मंगलवार को बंद बुलाया गया जिसका समापन बुधवार शाम को हुआ। असम में अखिल असम छात्र संघ (आसू), कृषक मुक्ति संग्राम समिति और नार्थ ईस्ट स्टूडेंटस यूनियन (नेसो) ने इस प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ आंदोलन शुरु कर दिया है इसके तहत छोटे—मोटे प्रदर्शन हो रहे है।


वहीं मेघालय के खासी हिल्स ऑटोनोमास डिस्ट्रिक्ट कौंसिल ने केंद्र से मांग की है कि इस विधेयक में मेघालय को बाहर रखा जाए। कांग्रेस का कहना है कि वह संसद में इस विधेयक का विरोध करेगी।


शाह ने दिया पक्ष सुनने का आश्वासन…

 

Citizenship Amendment Bill

इधर मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संग्मा इसका विरोध करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार राज्य कैबिनेट में इस विधेयक का विरोध करने का प्रस्ताव नहीं लिया जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संग्मा को आश्वासन दिया है कि वे राज्य का दौरा कर सभी पक्षों की बात सुनेंगे। इसलिए वे समय का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल पूर्वोत्तर राज्यों के संगठनों को लगता है कि इससे विदेशी लोगों को यहां बसाया जाएगा और इससे उनके अस्तित्व को खतरा उत्पन्न होगा। मालूम हो कि पिछली बार केंद्र सरकार ने इस विधेयक को राज्यसभा में पास कराया था लेकिन लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के चलते यह वहां पास नहीं हो पाया था।


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तो क्या खत्म हो जाएगा असम समझौता…

असम की बात करे तो यहां विदेशियों को खदेडऩे के लिए छह साल का आंदोलन हुआ था। इसके बाद 1985 में असम समझौता हुआ। इस समझौते के अनुसार विदेशियों की शिनाख्त के लिए कट ऑफ ईयर 24 मार्च 1971 तय हुआ। इसके बाद राज्य में जो भी विदेशी आए हैं उन्हें खदेड़ा जाएगा। लेकिन कैब पारित होने के बाद 2014 तक आए अल्पसंख्यक लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। इससे असम समझौता पूरी तरह खत्म हो जाएगा। इसके लिए असम में इसका जमकर विरोध हो रहा है।

 

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मालूम हो कि पिछली बार केंद्र सरकार ने इस विधेयक को राज्यसभा में पास कराया था लेकिन लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के चलते यह वहां पास नहीं हो पाया था। इसलिए केंद्र की भाजपा नेतृत्ववाली सरकार फिर इसे इस सत्र में ला रही है।

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