खुद भी गरीब है
त्रिपुरा का यह ठेलेवाला ने गरीब लोगों की मदद के लिए आगे आया और मानवता की मिसाल पेश की। गौतम दास (51) नामक ठेलेवाला हर रोज 200 रुपए कमाता है। उसके पास दस हजार रुपए की बचत थी। कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन शुरु हुआ तो हर रोज कमाने-खानेवालों के सामने जैसे पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन दास ने अपनी बचत से आठ हजार रुपए खर्च कर गरीबों को खाने का सामान मुहैया कराया।
जमापूंजी से गरीबों को भोजन
दास अगरतला के पास ही स्थित साधुटिला में एक कच्चे मकान में रहता है। उसकी पत्नी का देहांत कुछ साल पहले हो गया था। उसके बच्चे अलग रहते हैं। दास का कहना है कि जब लॉकडाउन शुरु हुआ तो मैं अपने से दूसरों की तुलना में ज्यागा भाग्यशाली माना क्योंकि मेरे पास तो कुछ जमा पूंजी थी। तभी मैंने इससे उन लोगों की मदद की ठानी जो मेरी तरह सौभाग्यशाली नहीं थे। लॉकडाउन के पहले मेरी रोज की कमाई लगभग दो सौ रुपए थी। इससे ही मैंने बचत कर दस हजार रखे थे।
अपने जैसे दूसरों के बारे में सोचा
लॉकडाउन के दौरान मेरी जीविका के बारे में सोचते हुए मैंने अपने ही तरह के उन लोगों के बारे में सोचा जिनकी बचत तो दूर कमाई ही नहीं थी। तभी मैंने इनकी मदद का फैसला किया। मैं राशन की दुकान से चावल और दाल ले आया और पैकेट बनाकर अपने ही ठेले पर गरीब लोगों में वितरित किया। अब तक मैं 160 परिवारों की मदद कर चुका हूं। इसके लिए आठ हजार रुपए खर्च किए हैं। लॉकडाउन के दौरान गरीब लोगों को खाने-पीने के सामान की जुगाड़ करने में दिक्कतें हो रही हैं। लॉकडाउन बढ़ता है तो मैं मेरे जैसे गरीब लोगों की मदद को जारी रखूंगा।