
हाईकोर्ट ने कहा अवैध उत्खनन रोकने में अफसर फेल, सीआईएसएफ को सौंपे कमान
ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने कहा है कि अधिकारी अवैध उत्खनन रोकने में पूरी तरह से असफल रहे हैं। अधिकारियों की इस अक्षमता को देखते हुए राज्य शासन अवैध उत्खनन रोकने के लिए एसटीएफ या सीआईएसएफ जैसी मशीनरी का उपयोग करे। इस पर नियंत्रण के लिए ऑटो अलर्ट सिस्टम भी विकसित किया जाए।
न्यायालय ने रेत चोरी और अवैध उत्खनन को संज्ञेय तथा गैर जमानती अपराध बनाए जाने के निर्देश भी शासन को दिए हैं। न्यायमूर्ति शील नागू एवं न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ ने एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया की याचिका का निराकरण करते हुए यह आदेश दिए हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि राज्य शासन अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए कंप्यूटर नियंत्रित सर्वर आधारित सुरक्षा व्यवस्था को तत्काल विकसित करे। संवेदनशील क्षेत्र, नदी किनारे इसकी निगरानी में होना चाहिए। इस सिस्टम में ऑटो अलर्ट की व्यवस्था भी होना चाहिए । इसके लिए सीसीटीवी और सेटेलाइट इमेजनरी का उपयोग कैसे हो सकता है इस पर कार्य होना चाहिए। इस व्यवस्था से सभी संबंधित उच्च अधिकारियों को स्मार्ट फोन के जरिए जोड़ा जाना चाहिए।
अधिकारियों की तय हो जिम्मेदारी
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अवैध उत्खनन में जब्त किए गए वाहनों को क्यों राजसात नहीं किया जा रहा है इस संबंध में कारण सहित आदेश पारित किया जाना चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।
समय आ गया है पर्यावरण की रक्षा की सभी निभाए जिम्मेदारी
उच्च न्यायालय ने कहा कि आर्थिक असंतुलन जीवन के लिए घातक होता जा रहा है। अब समय आ गया है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सभी अपनी जिम्मेदारी निभाएं। रेत चोरी और रेत के अवैध उत्खनन के व्यापक रुप में होने का बडा कारण उपयोग बढऩा है, वहीं इस कारण से विश्व भर में पानी का संकट भी उत्पन्न हो रहा है। बड़े पैमाने पर खनन से नदियां संकट में आ गई है और भूजल कम हो रहा है। वहीं वनों की कटाई ने इस संकट को और बढ़ा दिया है। यह निश्चित रुप से भविष्य को प्रभावित करेगा इसलिए नागरिकों का कर्तव्य और दायित्व है कि देश एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए इसे रोकने में मदद करें।
इसलिए पेश की गई थी याचिका
चंबल नदी से रेत के अवैध उत्खनन पर तमाम दिशा निर्देशों के बाद भी अवैध खनन नहीं रुकने पर यह याचिका प्रस्तुत की गई थी। उच्च न्यायालय ने इस मामले में मुरैना के मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी को आकस्मिक निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। इस निर्देश पर की गई जांच में पाया गया था कि चंबल में दिन-रात रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। इस पर रोक के लिए कोई सिस्टम यहां काम नहीं कर रहा है। न्यायालय ने अब तक मिली जांच रिपोर्टों पर विचार के बाद उक्त निर्देश दिए हैं।
Published on:
29 Feb 2020 11:41 pm
बड़ी खबरें
View Allग्वालियर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
