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निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों को बड़ी राहत, मूल विभाग भेजने के आदेश पर लगी रोक

MP High Court: हाईकोर्ट की युगल पीठ ने ग्वालियर नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों को उनके मूल विभाग में वापस भेजने के आदेश पर रोक लगा दी है। जिसके बाद कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है।

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High Court decision on deputation case

High Court decision on deputation case( सोर्स : पत्रिका)

MP High Court: हाईकोर्ट की युगल पीठ ने ग्वालियर नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों को उनके मूल विभाग में वापस भेजने के आदेश पर रोक लगा दी है। जिसके बाद कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने निगम आयुक्त सहित 61 अधिकारी व कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति(Deputation case) निरस्त करते हुए उनके मूल विभाग में तत्काल प्रभाव से भेजने का आदेश जारी किया था।

युगल पीठ ने कहा, अनिल कुमार दुबे, अतिरिक्त आयुक्त के आचरण के खिलाफ की गई टिप्पणियों के संबंध में राज्य को निर्देश दिया जाता है कि इस मामले में एक विवेकपूर्ण जांच की जाए। इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए और उसकी रिपोर्ट इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाए। मामले की अगली सुनवाई 23 जून को होगी। सिंगल बैंच के आदेश के बाद 61 अधिकारी-कर्मचारियों ने कार्य बंद कर दिया था और आदेश के खिलाफ युगलपीठ में याचिका दायर की थी।

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खतरे में निगम का पूरा कामकाज

इस मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक खेडेकर तर्क दिया कि नगर निगम में बहुत सारे पद खाली पड़े हैं और अगर कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर नहीं लाया गया तो निगम का पूरा कामकाज खतरे में पड़ जाएगा। अधिनियम 1956 की धारा 58(3) से (6) की ओर भी आकर्षित किया गया है जिसमें स्पष्ट रूप से नगर निगम में प्रतिनियुक्ति के माध्यम से नियुक्ति का प्रावधान है।

हाईकोर्ट(MP High Court) के आदेश के बाद निगम ने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों(officers and employees) को रिलीविंग की भी तैयारी कर ली थी। यदि स्टे नहीं मिलता तो शाम तक सभी अफसरों को निगम से रिलीव करते हुए उनके मूलविभाग भेजा जाता।

इनकी प्रतिनियुक्ति की थी निरस्त..

नगर निगम आयुक्त संघप्रिय, अपर आयुक्त रजनी शुक्ला, विजय राज, मुनीश सिकरवार, अनिल कुमार दुबे, उपायुक्त अमर सत्य गुप्ता, दिनेश दीक्षित, सुनील कुमार चौहान,सीएचओ वैभव श्रीवास्तव, सहायक विधि अधिकारी भानु प्रताप सिंह तोमर, सहायक यंत्री शालिनी सिंह, एकाउंट ऑफिसर संतोष शर्मा, सहायक लेखा अधिकारी पूजा महकाली, सहायक लेखा पाल रितु अग्रवाल।

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जेडओ: विशाल गर्ग, तनुजा वर्मा, रवि गोडिया।

पीआईयू : आशीष राजपूत, सुरुचि बंसल, एई अशोक कुमार गुप्ता।

होर्डिंग शाखा नोडल: अनिल चौहान।

उपयंत्री: गिरिश्मा आर्य, अजीत जैन, वर्षा मिश्रा।

सहायक वर्ग-3 राजेश खरे, प्रमोद पाल, धर्मेंद्र धाकड़, जग्गन अग्रवाल, स्नेहलता परमार, दिनेश जाटव, सतेंद्र सिंह, राहुल धोरोलिया, अभिषेक सिंह भदौरिया, रेणु तोमर, राजकुमार कोष्ठा, रुपाली आर्य, प्रशांत राव, राजेंद्र सिंह विक्रम, धर्मेंद्र सिंह परमार, दीपेंद्र सेंगर, सचिन सविता, अंकित शर्मा, शीतल डंडोतिया, विवेक त्यागी, जितेन्द्र सिंह राजावत, महेश प्रताप सिंह सिकरवार, भूपेन्द्र सासोड़े, हेमन्त कुशवाह, जीतेन्द्र सिंह बघेल, रामेन्द्र सिंह गुर्जर, बृजेन्द्र सिंह किरार, निकिता शर्मा, अभिषेक शर्मा, विवेक श्रीवास्तव, सालिनी गुप्ता, रुचि यादव, सपना चौहान, सोनाली पाराशर, प्रियंका द्विवेदी, संदीप मिश्रा, कुलदीप पाराशर है।

ये है प्रतिनियुक्ति मामला

डॉ अनुराधा गुप्ता ने नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी पद पर पशु चिकित्सक डॉ अनुज शर्मा की प्रतिनियुक्ति को चुनौती दी। कोर्ट के आदेश के बाद डॉ अनुज शर्मा को उनके मूल विभाग में भेज दिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डीपी सिंह ने तर्क दिया कि 61 अधिकारी व कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर निगम में काम कर रहे हैं। ये पद की योग्यता नहीं रखते हैं, लेकिन अवैध रूप से काम कर रहे हैं। इसको लेकर हाईकोर्ट ने नगर निगम व शासन से जवाब मांगा। प्रतिनियुक्ति (Deputation case) पर आए अधिकारियों की नोटशीट भी मंगाई। जनप्रतिनिधियों की सिफारिश पर नगर निगम में आए थे। प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों का भी कोर्ट ने पक्ष सुना। 8 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया था और बाद में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी को मूलविभाग भेजने के लिए कहा गया था।