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ग्वालियर

फेल और प्रवेश परीक्षा नहीं देने वाले कर रहे पीएचडी

जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा शोधार्थियों को नियम कायदे ताक पर रखकर पीएचडी कराई जा रही है। आधा दर्जन से अधिक शोधार्थियों को आरडीसी के बिना प्रवेश परीक्षा कराकर शोध के लिए पात्रता दे दी गई, जबकि आधा दर्जन छात्र-छात्राएं प्रवेश परीक्षा में फेल होने के बाद भी

ग्वालियरApr 23, 2019 / 06:48 pm

रिज़वान खान

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फेल और प्रवेश परीक्षा नहीं देने वाले कर रहे पीएचडी

ग्वालियर. जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा शोधार्थियों को नियम कायदे ताक पर रखकर पीएचडी कराई जा रही है। आधा दर्जन से अधिक शोधार्थियों को आरडीसी के बिना प्रवेश परीक्षा कराकर शोध के लिए पात्रता दे दी गई, जबकि आधा दर्जन छात्र-छात्राएं प्रवेश परीक्षा में फेल होने के बाद भी पीएचडी कर रहे हैं। कुछ इस तरह की शिकायतें सोमवार को न्यायिक आयोग के समक्ष की गई हैं। इस दौरान जेयू के उप कुलसचिव डॉ. राजीव मिश्रा की पीएचडी को चैलेंज किया गया है। शिकायत में उल्लेख किया गया है कि उप कुलसचिव ने पद का दुरुपयोग कर डिग्री हासिल की है। इस दौरान आयोग ने आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी और उनके गाइड के बयान भी दर्ज किए।
यह सुनवाई का प्रमुख कारण
आदिम जाति कल्याण विभाग के अपर संचालक एसएस भंडारी की पीएचडी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एडवोकेट ललित खरे के माध्यम से याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विवेक अग्रवाल ने आयोग गठित कर हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश डीके पालीवाल को चार सप्ताह में जांच पूरी करने के लिए कहा था। सोमवार सुबह से लेकर शाम तक जेयू में सभी पक्षों को सुना गया।
दर्ज कराए गए बयान
आयोग ने भंडारी और उनके मार्गदर्शक डॉ सेंगर को भी बयान के लिए बुलाया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि शासन ने विशेष अवकाश और आर्थिक सहायता से इनकार कर दिया था। इसके बाद सामान्य अवकाश के दिनों में शोध केन्द्र और मार्गदर्शक के साथ क्षेत्रीय शोध किया। 200 दिन के शोध में सभी नियमों का पालन भी किया गया था।

घेरे में उप कुलसचिव
विवि के उप कुलसचिव डॉ राजीव मिश्रा की पीएचडी पर आपत्ति कमलेश इंदौरिया ने की। शिकायत कहा, मिश्रा की पहली पदस्थापना सहायक कुलसचिव के रूप में हुई थी और उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। इन्होंने अपने कार्य के समय में ही अध्ययन का समय पूरा किया है।
यह शिकायतें भी आईं
पूर्व छात्र नेता राममोहन सिंह भदौरिया उर्फ लालू ने शिकायत कर बताया है कि विवि ने 2015-16 में पीएचडी प्रवेश परीक्षा आरडीसी के बिना कराई थी। इसमें किरण वाजपेई, वर्षा पाठक, राकेश कुमार दुबे ज्योतिर्विज्ञान में पास हो गए थे।
वहीं 30 दिसंबर 2018 में भी बिना आरडीसी के सांख्यिकी विषय की परीक्षा करा दी। मंजू वर्मा और दीपा अनवर सांख्यिकी में पीएचडी कर रही हैं। इन विषयों में रीसर्च सेंटर ही नहीं है तो फिर पीएचडी कैसे हो रही है।
एनएसयूआई प्रदेश महासचिव सचिन द्विवेदी ने भी आयोग से 7 शिकायतें की हैं। शिकायतों में उल्लेख है कि विवि द्वारा छात्राओं को नियम विरुद्ध पीएचडी कराई जा रही है।
छात्र नेता ने शिकायत में उल्लेख किया है कि प्रवेश परीक्षा में फेल हो चुके छात्रों को भी कोर्स वर्क में शामिल कर लिया गया और अब वे पीएचडी कर रहे हैं।
-एक अन्य शिकायत में माधवनगर निवासी एसके शर्मा ने आयोग के समक्ष दस्तावेज पेश करते हुए डॉ अनिल शर्मा की पीएचडी पर सवाल खड़े किए हैं। शिकायत में उल्लेख है कि डॉ शर्मा ने शोध कार्य के दौरान एक भी दिन माधव कॉलेज स्थित शोध केन्द्र में नहंी बिताया है। इनकी पीएचडी उपाधि को निरस्त किए जाने की मांग की गई है।

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