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श्रीराम कॉलोनी पेड-पौधों के लिए आरक्षित जमीन पर नहीं बन सकेंगी दुकानें

उच्च न्यायालय ने दुकानंे बनाने के लिए प्रस्तुत की गई याचिका को किया खारिज, कहा टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग का आदेश सही

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श्रीराम कॉलोनी पेड-पौधों के लिए आरक्षित जमीन पर नहीं बन सकेंगी दुकानें

श्रीराम कॉलोनी पेड-पौधों के लिए आरक्षित जमीन पर नहीं बन सकेंगी दुकानें

ग्वालियर। श्रीराम कॉलोनी में झांसी रोड पर सडक़ किनारे ग्रीन बेल्ट, पार्क एवं स्कूल के लिए आरक्षित जमीन पर में अब दुकानें नहीं बन पाएंगी। टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग द्वारा स्वीकृत ले आउट प्लान के अलावा खुली जमीन पर दुकानंे बनाने के लिए प्रस्तुत पुनरीक्षित प्लान को निरस्त कर दिए जाने के निर्णय को उच्च न्यायालय ने

सही माना है।

न्यायमूर्ति जीएस अहलुवालिया ने यह महत्वपूर्ण आदेश श्रीराम कॉलोनी के कॉलानाइजर अनिल शर्मा द्वारा टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग के निर्णय के खिलाफ प्रस्तुत याचिका को खारिज करते हुए दिए हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि इस प्लान के अनुसार खुली जमीन पर याचिकाकर्ता स्वामी हो सकता है लेकिन जब ले आउट के अनुसार किसी जमीन को आरक्षित किया जाता है तब उसका उपयोग बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस मामले में टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग ने इस जमीन पर २१ मार्च १९७४ के स्वीकृत प्लान के अलावा किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति न देकर कोई गलती नहीं की है।

१९६५ में बनीं थी कॉलोनी

याचिकाकर्ता अनिल शर्मा के अनुसार उनके पूर्वजों ने यह कॉलोनी विकसित की थी। वर्तमान में इस कॉलोनी को श्रीराम कॉलोनी झांसी रोड के नाम से जाना जाता है। १९६५ में शुरु हुई इस कॉलोनी में कई चरणों में विकास किया गया जो १९८९ तक चलता रहा। १९६५ में इस कॉलोनी के लिए जो ले आउट प्लान तैयार किया गया था उसे टाउन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट ने बाद में टाउन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट ने मंजूरी दी थी। बाद में ग्राम तथा नगर निवेश १९७३ की स्थापना हुई। वर्ष १९८३ में याचिकाकर्ता के पूर्वजों ने याचिकाकर्ता के स्वामित्व वाली जमीन पर दुकानें विकसित करने के लिए १३ जनवरी १९८३ को आवेदन किया। जिसमें उन्हें अनुमति दी गई। कॉलोनी में पार्क और स्कूल के लिए जमीन छोडी गई थी, इसके अलावा जितनी जमीन खुले स्थान के रुप में छोडना थी उससे ज्यादा जमीन छोडी गई थी। याचिकाकर्ता ने चारदीवारी के लिए अनुमति प्राप्त करने के बाद दीवार बनाई जिसे निगम ने ध्वस्त कर दिया। इसे अदालत में चुनौती दी

गई। इस पर निगम को पुनर्विचार के निर्देश दिए गए। बाद में इस मामले में कानूनी लड़ाई चलती रही। यह लडाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी को प्रकरण का निराकरण करने के निर्देश दिए थे। कमेटी ने कॉलोनाइजर के आवेदन को खारिज कर दिया था इसके खिलाफ यह याचिका पेश की गई थी।

कोई खुली जमीन नहीं बची

टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग ने मौके पर निरीक्षण कर पाया था ले आउट प्लान के अनुसार स्वीकृत भूखण्डों को छोडकर कॉलोनाइजर के स्वामित्व की कोई खुली जमीन नहीं बची है। इसके लिए सीमांकन भी किया गया था। कॉलोनी में चालीस मीटर सडक के बाद जिस जमीन पर दुकानें बनाने के लिए आवेदन दिया गया था दरअसल वहां ग्रीन बेल्ट था।

पेड काटकर हो रही है पार्र्किंग

वर्तमान में यहां बड़े-बडे शोरुम खुलते जा रहे हैं, माधवनगर गेट के सामने होटल के पास से कला समूह भवन तक जो पेड थे उन्हें हटाकर यहां धीरे-धीरे पार्र्किंग की व्यवस्था की जा रही है। यहां के लोगों का कहना है कि पहले यहां से छोटी रेल लाइन कंपू स्थित रेलवे स्टेशन तक जाती थी। इसके पास छोटी नहर भी थी।