केस : 2
तीन में से सिर्फ एक ही दवा
गुड़ागुडी का नाका निवासी इंदर सिंह कुशवाह आंखों में परेशानी होने पर ओपीडी में पहुंचे। यहां डॉक्टर ने उन्हें तीन दवाएं लिखीं। लेकिन अस्पताल के दवा काउंटर पर सिर्फ एक ही दवा मिली। दो अन्य दवाएं निजी मेडिकल से लेने को कहा गया।
केस: 2
पांच में से दो दवाएं ही मिल सकीं
खजांची बाबा निवासी शमशाद बानो गायनिक की समस्या के चलते ओपीडी में आईं। डॉक्टर ने पांच दवाएं पर्चे पर लिखीं। लेकिन सिर्फ दो ही दवाएं मिलीं और तीन दवाएं बाहर के मेडिकल से खरीदने के लिए बोल दिया। ऐसे में परेशान महिला चली गई।
सात दिन भर्ती रहने पर अधिकांश दवाएं खरीदनी पड़ी थी
मुरार निवासी सत्यवती एक महीने पहले हजार बिस्तर में भर्ती हुई थीं। उन्हें किडनी के साथ शुगर और बीपी की समस्या थी। बुजुर्ग महिला को यहां पर सात दिन तक भर्ती किया गया। इस बीच कई तरह की दवाएं बाहर से लानी पड़ीं थीं। उनके परिजन सत्येंद्र ने बताया कि अस्पताल में दावे ही किए जाते हैं, लेकिन दवाएं कुछ नहीं मिलतीं।
यह दवाएं नहीं हैं
– ह्युमन एल्ब्युमिन (लिवर), मेट्रोनिडाजोल (दस्त), पिपरासिलिन टेजोबेक्टम (एंटीबायोटिक) सेफोपेराजोन सबबेक्टम (एंटीबायोटिक), इनोक्सापेरिन (हार्ड), मेटोक्लोप्रोमाइड (उल्टी) आदि दवाएं शामिल हैं।
इनका कहना है
75 दवाएं कम हो गई हैं। भोपाल से बजट नहीं मिलने से दवाओं के ऑर्डर नहीं लगा पा रहे हैं। इससे मरीजों की दवाएं कम मिल रही हैं। ग्लब्स आदि इधर- उधर से मंगाकर व्यवस्था कर रहे हैं। अस्पताल में सबसे ज्यादा ओपीडी में परेशानी आ रही है। इसके लिए कई बार पत्र भेजा गया है।
– डॉ. देवेन्द्र सिंह कुशवाह, स्टोर इंचार्ज जेएएच
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