– केंद्र सरकार की ओर से लगातार लागू की जा रही मजदूर किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा लगातार संघर्ष कर रहा है।
– फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना
– स्वामीनाथन आयोग के सिफारिश को लागू करना
– बिजली कानून 2022 वापस करने के अलावा भूमि अधिग्रहण और आवारा पशुओं की प्रमुख समस्या देश के अंदर बनी हुई है।
– सरकार किसानों के हित में कार्य करने की बजाय किसानों की जमीनों को कॉर्पोरेट के हाथों बेचना चाहती है और इसी नियत से सरकार मजदूर किसान विरोधी नीतियां लगातार लागू कर रही है।
– इसके विरोध में 14 मार्च को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में संयु्क्त किसान मोर्चा को एक विशाल रैली आयोजित की जा रही है।
– किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर कानूनी गारंटी की है।
बता दें कि गुरुवार को रामलीला मैदान (Ramlila Maidan) में आयोजित की जा रही किसान महापंचायत (Kisan Andolan) से पहले मंगलवार को दिल्ली में बैठक आयोजित की गई। रामलीला मैदान का जायजा लिया गया। एसकेएम नेता दर्शन पाल ने कहा कि पंजाब के किसान बड़ी संख्या में महापंचायत ( Kisan Mahapnchayt) में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि महापंचायत शांतिपूर्ण होगी। पाल ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों के बजाय बसों और ट्रेनों से दिल्ली जाएंगे।
एसकेएम ने किसानों और कार्यकर्ताओं से ‘किसान मजदूर महापंचायत’ में भाग लेने की अपील की है। एसकेएम ने कहा कि इस आयोजन को ‘राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और सफल’ बनाने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। एसकेएम के नेताओं के मुताबिक, महापंचायत मोदी सरकार की कॉरपोरेट समर्थक, सांप्रदायिक, तानाशाहीपूर्ण नीतियों के खिलाफ लड़ाई तेज करने के लिए और खेती, खाद्य सुरक्षा, आजीविका और लोगों को कॉरपोरेट लूट से बचाने के लिए संघर्ष के लिए ‘संकल्प पत्र’ पारित किया जाएगा।