
ग्वालन के प्यार में डूबा था यह राजा,रानी व राजा के प्रेम की अमर कहानी का गवाह है ये शानदार महल
ग्वालियर। देश व विदेश में प्रख्यात गूजरी महल एक राजा और उसकी प्रेमिका की अमर प्रेम कहानी का गवाह है। इस महल में तोमर वंश के राजा मानसिंह और उनकी प्रेयशी रानी मृगनयनी के अमर प्रेम को देखा गया है। इस महल के खंबे मोहब्बत की बुनियाद पर खड़े हुए हैं। शहर के बाहर बनाया गया गूजरी महल राजा मानसिंह तोमर और उनकी गूजर पत्नी मृगनयनी के अमर प्रेम का प्रतीक है। बताया जाता है कि राजा मानसिंह कहीं जा रहे थे तभी उन्हें रास्ते में एक ग्वालन (मृगनयनी) दिखाई दी।
ग्वालन बहुत ही सुंदर होने के साथ-साथ चतुर भी थी। वह राजा के मन में तुरंत भा गई। राजा मानसिंह तोमर ने तुरंत ही मृगनयनी को अपनी पटरानी बनाने का निश्चय कर लिया। उनके इस निश्चय का काफी विरोध भी हुआ, लेकिन उन्होंने इन सबको दरनिकार कर विवाह किया। राजा ने अपनी नई रानी के लिए एक भव्य महल भी बनवाया। मृगनयनी के नीची जाति के होने के कारण लोगों ने विरोध किया गया,जिसके चलते इस महल को ग्वालियर किले के बाहर बनाया गया।
मृगनयनी ने राजा के सामने रखी तीन शर्तें
मृगनयनी का असली नाम निन्नी था। वह तिघरा के पास राई गांव की रहने वाली गुर्जर परिवार से थीं। एक बार राजा मानसिंह जब वहां से गुजरे तो वहां देखा कि दो सांडों की लड़ाई को निन्नी ने आसानी से रोक दिया। यह देख राजा मानसिंह ने उनसे शादी करने की इच्छा उनके परिजनों ने जताई,लेकिन निन्नी ने अपनी तीन शर्तें राजा के सामने रख दीं।
इनमें पहली अपने गांव से पानी लाना,दूसरी उनके लिए अलग से महल होगा,तीसरी युद्ध क्षेत्र में राजा के साथ ही रहेंगी। मानसिंह ने तीनों शर्तें मान लीं। मृग जैसी बड़ी आंखों वाली निन्नी को बाद में उन्होंने मृगनयनी नाम दिया और 1506 के आसपास इस 28 कमरों वाला भव्य गूजरी महल का निर्माण करवाया। साथ ही,टेराकोटा की बनी पाइप के द्वारा पानी को इस महल तक लाया गया।
अनूठा है गूजरी महल
गूजरी महल परंपरागत हिन्दू भवनों की तरह चौरस हैं। जिसके बीच में बड़ा सा चौक और बाग है। यहां के खंभों तथा दीवारों पर नक्शीदार काम किया गया है जो देखते ही मन मोह लेता है। साथ ही यह प्यार का प्रतिक भी है और प्रेम को दर्शता है।
रानी के कहने पर डलवाई पाइप लाइन
बताया जाता है कि रानी मृगनयनी ग्वालियर से दूर राई गांव की रहने वाली थी। रानी जब ग्वालियर आई तो उन्हे यहां का पानी नहीं भाया,इस पर उन्होंने राजा को बोला की उन्हें अपने गांव से निकलने वाली सांक नदी का पानी चाहिए,तो राजा मानसिंह तोमर ने सांक नदी से गूजरी महल तक पाइप लाइन डलवाई। यह पाइप लाइन आज भी मौजूद है जो रानी के महल में ही है।
Published on:
18 Apr 2019 01:11 pm
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