ढाई सौ साल पुराना है यह शिव मंदिर, भक्तों की अटूट आस्था का भी है केंद्र
ग्वालियर। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह की त्रयोदशी तिथि पर पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार बहुत ही खास होता है। इस बार महाशिवरात्रि पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों और पंडितों के अनुसार इस बार की महाशिवरात्रि बेहद विशेष होगी, क्योंकि महाशिवरात्रि पर लगभग 59 साल बाद एक विशेष योग बन रहा है जो साधना-सिद्धि के लिए बेहद विशेष होगा। इस योग का नाम यश योग है। इस दिन पांच ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति भी होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इससे पहले ग्रहों की यह स्थिति और ऐसा योग वर्ष 1961 में रहे थे। इस दौरान दान-पुण्य करने का भी विधान है।
सिंधिया समर्थक बोले सिंधिया के सम्मान के लिए मंत्री सड़क पर आकर लड़ें लड़ाई महाशिवरात्रि पर्व को लेकर शिव मंदिरों में तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। इससे पहले हम आपको बता रहे हैं प्रदेश के चंबल संभाग के श्योपुर जिले की हसील मुख्यालय बड़ौदा की पहचान कहे जाने वाले चंद्रसागर तालाब की जहां प्राकृतिक सौंदर्यता है, उतनी ही यहां की धार्मिक आस्था अद्वितीय है।
पहले खुद को मारी गोली फिर हुआ पछतावा और आखिर में तोड़ दिया दम लगभग ढाई सौ साल पूर्व स्थापित किए गए चंद्रसागर महादेव का मंदिर तालाब के बीच में स्थित है, जिसके चलते इसे जल मंदिर भी कहा जाता है। यहां हर साल महाशिवरात्रि पर नगर परिषद की ओर से मेला भी आयोजित किया जाता है। बड़ौदा नगर के बाहर श्योपुर-बारां हाईवे से लगभग आधा किलोमीटर दूरी पर स्थित चंद्रसागर तालाब और इसमें स्थापित भगवान शंकर का मंदिर जिलेभर में एकमात्र जल मंदिर है।
ढाई सौ साल पूर्व बनाया गया था मंदिर बड़ौदा नगर के राजा विजय सिंह गौड़ ने लगभग ढाई सौ साल पूर्व ये तालाब और उसमें बीच में भगवान शंकर का मंदिर बनवाया। जिसके बाद तालाब का नाम चंद्रसागर तालाब और मंदिर का नाम चंद्रसागर महादेव मंदिर दिया। स्थापना के समय से ही मंदिर के निकट शिवरात्रि का मेला लगता आया है।
20 फरवरी से मेला महाशिवरात्रि मेले की तैयारियां चल रही है, जो 20 फरवरी से प्रारंभ होगा। भजन संध्या, कवि सम्मेलन, ऑर्केस्ट्रा जैसे मंचीय कार्यक्रम भी आयोजित होंगे।
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