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मैरिज गार्डन संचालकों को बड़ा झटका, भूमि विकास नियम को दी गई चुनौती खारिज

उच्च न्यायालय ने कहा राज्य शासन जमीन के नियंत्रण को लेकर बना सकता है नियम

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मैरिज गार्डन संचालकों को बड़ा झटका, भूमि विकास नियम को दी गई चुनौती खारिज

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ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने मैरिज गार्डन संचालकों द्वारा मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम २०१२ को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया है। संचालकों का कहना था कि यह नियम अप्रासंगिक है। इस कारण छोटे-मोटे समारोह करने वालों के लिए स्थान ही उपलब्ध नहीं हो सकेगा।

उच्च न्यायालय ने वृहत्तर ग्वालियर मैरिज हाउस एसोसिएशन ने जिला प्रशासन द्वारा मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम २०१२ के तहत शहर के मैरिज हाउसों पर की गई तालाबंदी के बाद इस नियम को चुनौती देते हुए याचिका प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने एसोसिएशन की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भूमि के विकास और उपयोग को नियंत्रित करने के लिए राज्य शासन नियम बना सकती है। यह नियम योजना क्षेत्र और गैर योजना क्षेत्र के लिए बनाए जा सकते हें और उन्हें लागू किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि इन नियमों को लागू करने में कहीं भी असंवैधानिकता नजर नहीं आती है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि मैरिज गार्डन के लिए दस हजार वर्ग मीटर की अनिवार्यता के कारण निम्न आय वर्ग के लोग मैरिज गार्डन में अपने विवाह समारेाह नहीं करा सकेंगे। इसलिए इस नियम को बदले जाने के लिए हस्तक्षेप करना जरुरी है।न्यायालय ने कहा कि राज्य शासन द्वारा जो वर्गीकरण किया गया है वह ठीक है। इसलिए मैरिज गार्डन संचालकों द्वारा प्रस्तुत याचिका पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। अभी मिली हुई है राहतउच्च न्यायालय द्वारा मैरिज संचालकों की इस याचिका के खारिज होने से उन्हें बड़ा झटका लगा है, लेकिन फिलहाल उच्च न्यायालय ने एक अन्य याचिका में मैरिज संचालकों को दी गई राहत को बरकरार रखा हुआ है। इस मामले में राज्य शासन को न्यायालय में उन मैरिज गार्डनों की सूची प्रस्तुत करना है जो भूमि विकास नियम २०१२ का पालन नहीं कर रहे हैं।