scriptमौत का घर बना दिव्यांगों का स्नेहालय, 8 किलो हड्डियों का पिंजर भर बचा था 21 साल का करण | rape and death case in gwalior snehalaya shelter home | Patrika News
ग्वालियर

मौत का घर बना दिव्यांगों का स्नेहालय, 8 किलो हड्डियों का पिंजर भर बचा था 21 साल का करण

मौत का घर बना दिव्यांगों का स्नेहालय, 8 किलो हड्डियों का पिंजर भर बचा था 21 साल का करण
 

ग्वालियरSep 28, 2018 / 10:36 am

Gaurav Sen

rape and death case in gwalior snehalaya shelter home

मौत का घर बना दिव्यांगों का स्नेहालय, 8 किलो हड्डियों का पिंजर भर बचा था 21 साल का करण

ग्वालियर। दिव्यांग से बलात्कार की घटना का जख्म अभी ताजा ही है और झांसी रोड स्थित शेल्टर होम स्नेहालय से एक और दिल दहला देने वाली खबर आ गई। दवा, खाना और देखरेख नहीं मिलने से एक दिव्यांग ने दम तोड़ दिया। कुपोषित करण (21) का शव गुरुवार की सुबह कॉटेज नंबर दो में पलंग पर पड़ा मिला। उसकी हालत इतनी खराब थी कि उसका शरीर 7-8 किलो की हड्डियों का ङ्क्षपजर भर बचा था।

कॉटेज में करण के अलावा छह दिव्यांग और थे, लेकिन उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। शेल्टर होम में दिव्यांगों को दी जाने वाली तमाम जरूरी दवाएं खत्म हो चुकी थीं। इसलिए करण को कई दिन से इलाज नहीं मिल रहा था। आशंका है कि रात के वक्त करण की हालत बिगड़ी। साथी उसकी परेशानी समझ नहीं सके। वे सुबह करीब 8.30 बजे कॉटेज से बाहर निकले तब बताया कि करण नहीं उठ रहा है। इस घटना ने प्रशासन की घोर लापरवाही और उदासीनता उजागर की है।

बिगड़ रहे हालात: स्नेहालय से भागने की जिद पर अड़ी किशोरी ने की फांसी लगाने की कोशिश

जिम्मेदारों को पता था कि हालत गंभीर है
महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी करण को टीबी का मरीज बता कर पल्ला झाड़ रहे हैं। विभाग के कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह के मुताबिक करण को लंबे समय से टीबी थी। उसका शरीर जर्जर हो चुका था। कुछ समय से वह चलने-फिरने लायक भी नहीं था। बिलौआ टीआई अमित भदौरिया ने बताया कि गुरुवार सुबह स्नेहालय से फोन आया कि दिव्यांग करण की मौत हो गई है। उसकी मौत का कारण नहीं पता चला है। फॉरेसिंक एक्सपर्ट को बुलाकर घटना स्थल का परीक्षण कराया गया है।

हिलने-डुलने तक की ताकत नहीं बची थी
शेल्टर होम की मेडिकल फाइल से पता चला है कि करण का 7 सितंबर को आखिरी चेकअप हुआ था। डॉक्टर ने कई दवाएं लिखी थीं। मल्टीविटामिन सहित उसे दी जाने वाली दवाएं शेल्टर होम के मेडिकल स्टोर में नहीं मिली। शेल्टर होम के कर्मचारियों का कहना है कि वे दो दिन से अधिकारियों को बता रहे थे खाने-पीने का सामान और दवाएं खत्म हो रही हैं। रोज दवाएं देना जरूरी होता है। करण को कई दिन से दवा नहीं मिली थी। आशंका है इस वजह से ही उसकी मौत हुई। करण लंबे अर्से से पलंग पर था। उसमें हिलने-ढुलने तक की ताकत नहीं थी। उसे वहीं दवा-खाना देना पड़ता था। वह 12 साल पहले यहां आया था। उसके हाथ-पैर जन्म से ही खराब थे। – दिव्यांगों को आ रहे थे दौरे… करण के शव के पास पड़ा था

rape and death case in gwalior snehalaya shelter home

इन्हें फिक्र… लेकिन हममें मर गया अहसास
करण का बेजान शव पलंग पर पड़ा था और मौत शब्द से अनजान उसके दिव्यांग साथी उसे पुचकार रहे थे। बार-बार उसके सिर पर हाथ फेर रहे थे। टूटी-फूटी भाषा में उससे उठ कर कुछ खा लेने की गुहार कर रहे थे।

rape and death case in gwalior snehalaya shelter home

Hindi News/ Gwalior / मौत का घर बना दिव्यांगों का स्नेहालय, 8 किलो हड्डियों का पिंजर भर बचा था 21 साल का करण

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो