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क्लस्टर डवलपमेंट के लिए सबसे पहली आवश्यकता ट्रस्ट बिल्डिंग की

- चैंबर ऑफ कॉमर्स के 118वे स्थापना दिवस पर इंडस्ट्रियल क्लस्टर एवं नवीन व्यवसायिक स्थलों की आवश्यकता एवं निर्माण की संभावनाएं विषय पर हुआ सेमिनार

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क्लस्टर डवलपमेंट के लिए सबसे पहली आवश्यकता ट्रस्ट बिल्डिंग की

क्लस्टर डवलपमेंट के लिए सबसे पहली आवश्यकता ट्रस्ट बिल्डिंग की

ग्वालियर. मध्यप्रदेश चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के 118वें स्थापना दिवस के मौके पर पहले दिन बुधवार को इंडस्ट्रियल क्लस्टर एवं नवीन व्यवसायिक स्थलों पर आवश्यकता एवं निर्माण की संभावनाएं विषय पर सेमिनार हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और विशेष अतिथि के रूप में संभागीय आयुक्त दीपक सिंह मौजूद थे। इस अवसर पर चैंबर अध्यक्ष डॉ.प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि ग्वालियर में इंडस्ट्री तो हैं परंतु यहां क्लस्टर निर्माण नहीं हो पाया है। यहां पर कंफेक्शनरी, फूड, स्टोन, इंजीनियरिंग आदि के क्लस्टर्स डवलप हो सकते हैं। इसके साथ ही नवीन व्यवसायिक स्थलों के निर्माण की भी पूर्ण संभावनाएं हैं। क्लस्टर डवलपमेंट पर सेडमैप की कार्यकारी संचालक अनुराधा सिंघई ने ऑनलाइन प्रजेंटेशन के जरिए बताया कि क्लस्टर डवलपमेंट के लिए सबसे पहली आवश्यकता ट्रस्ट बिल्डिंग की है, जो इकाईयां क्लस्टर डवलपमेंट की दिशा में आगे बढऩा चाहती हैं, उन्हें इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मध्यप्रदेश एवं भारत सरकार का इस योजना पर विशेष जोर है। सैडमैप क्लस्टर डवलपमेंट में मार्गदर्शन की भूमिका का निर्वाहन करता है। इसके लिए आपको एसपीव्ही बनाना होता है। इसमें 10 से 20 लोगों का समूह जिसका प्रतिनिधित्व करने के लिए एक प्रतिनिधि/सूत्रधार होना चाहिए। इसके बाद डीपीआर बनाकर सिडबी से पास कराकर शासन के पास भेजना होती है, उसकी स्क्रूटनी करने के बाद क्लस्टर डवलपमेंट का मार्ग खुलता है। सेमिनार में हुए सवाल-जवाब सेशन में आशीष जैन, संजय धवन, दिलीप पंजवानी, संतोष जैन, उमेश उप्पल, दीपक जैस्वानी, महेन्द्र गुप्ता, सुरेश बंसल, राजेश माखीजा ने अपनी जिज्ञासा संबंधी प्रश्न किए।

80 फीसदी एमएसएमइ इकाइयां होना चाहिए
जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र के सहायक प्रबंधक आनंद शर्मा ने राज्य शासन की क्लस्टर योजना के बारे में बताया कि जो भी भूमि क्लस्टर के लिए चिन्हित हो, उसमें 80 प्रतिशत एमएसएमइ इकाईयां होना चाहिए। एसपीव्ही में कम से कम 5 सदस्य हों, जिनमें ब्लड रिलेशन नहीं होना चाहिए। उसके बाद विकासक जो कि क्लस्टर के लिए आवश्यक सुविधाओं का विकास करेगा तथा निवेशक जो कि उसमें निवेश करेंगे। विकासक को दो वर्ष में भूमि विकसित करके देना होगी तथा निवेशक की ओर से शासन को लीजरेंट अदा किया जायेगा। क्लस्टर के तहत स्थापित इकाईयों को शासन की सभी अनुदान योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सकेगा।

60 से 70 फीसदी मिलता है अनुदान
एमएसएमइ ग्वालियर ब्रांच के डायरेक्टर इंचार्ज राजीव कुमार ने बताया कि क्लस्टर मुख्यत: माइक्रो एवं मीडियम इकाईयों के लिए बनाए जाते हैं। इसमें 5 से 10 करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए शासन से 60 से 70 फीसदी तक अनुदान मिलता है। यदि सभी इकाईयां माइक्रो हैं तो यह ग्रांट 75 फीसदी तक हो जाती है। बाकी 25 फीसदी राशि एसपीव्ही को जुटानी होती है।